फ्रेंडशिप डे यानि दोस्ती का दिन. अब भला आप सोचेंगे कि आखिर यह दोस्ती के दिन को लोग इतना महत्व क्यूं देते हैं. भारत में तो हर दिन हर शाम लोगों को दोस्तों का साथ मिलता है. दरअसल
फ्रेंडशिप डे पश्चिमी सभ्यता की सोच और मांग है जहां के एकल जीवन में अकसर दोस्तों का महत्व बेहद कम हो जाता है.
भारत में तो प्राचीन सभ्यता से ही दोस्ती की कई मिसालें देखने को मिलती हैं. राम ने दोस्ती के वास्ते ही सुग्रीव की मदद की थी,
कृष्ण और सुदामा की दोस्ती की मिसाल तो जमाना आदि काल से देता आ रहा है. पश्चिम की तुलना में भारत में दोस्ती व्यापक पैमाने पर फैली हुई है. यहां समाज में लोग ज्यादा घुलमिल कर रहते हैं.
फ्रेंडशिप डे की शुरुआत
व्यक्ति के जीवन में दोस्तों की अहमियत को समझते हुए और दोस्तों के प्रति आभार और सम्मान व्यक्त करने के उद्देश्य से अमेरिकी कांग्रेस ने सन 1935 में फ्रेंडशिप डे मनाने की घोषणा कर दी थी. अमेरिकी कांग्रेस के इस घोषणा के बाद हर राष्ट्र में अलग-अलग दिन फ्रेंडशिप डे मनाया जाने लगा.
भारत में यह हर वर्ष अगस्त माह के पहले रविवार को मनाया जाता है. सन 2011 से संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस दिन को एकरूपता देने और पहले से अधिक हर्षोल्लास से मनाने के उद्देश्य से 30 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय फ्रेंडशिप डे घोषित कर दिया है. लेकिन इसके बावजूद इस वर्ष अधिकतर देशों में फ्रेंडशिप डे 06 अगस्त को मनाया जाता है यानि अगस्त के पहले रविवार को.
दोस्ती का एक रिश्ता ऐसा है जो हम बनाते हैं. दोस्त से हम अपने दिल की सारी बातें कह सकते है. प्रेम, विश्वास और आपसी समझदारी के इस रिश्ते को दोस्ती कहते हैं. दोस्ती का रिश्ता जात-पांत, लिंग भेद तथा देशकाल की सीमाओं को नहीं जानता. पर इन सबके बावजूद हमारे समाज में एक लड़का और एक लड़की की दोस्ती को लेकर अकसर सवाल खड़े किए जाते हैं. एक लड़के और लड़की की दोस्ती को सहजता से लेने की बजाय उन पर प्रश्न चिन्ह लगाया जाता है.
एल लड़के और लड़की की दोस्ती पर प्रश्न उठाने वालों को अकसर यह डर सताता है कि कहीं दोनों प्यार ना कर बैठें, वह प्यार जिसे चाहते तो सभी हैं लेकिन जब यही प्यार कोई अपना कर ले तौबा-तौबा करने लगते हैं.
आज फ्रेंडशिप डे के दिन हम उम्मीद करते हैं समाज अपनी विचारधारा में बदलाव करेगा और संसार में दोस्ती की नई बयार बहेगी.
30 जुलाई को होता है इंटरनेशनल फ्रेंडशिप डे
दुनियाभर के अलग-अलग देशों में फ्रेंडशिप डे अलग-अलग दिन मनाया जाता है। 27 अप्रैल 2011 को संयुक्त राष्ट्र संघ की आम सभा ने 30 जुलाई को आधिकारिक तौर पर इंटरनेशनल फ्रेंडशिप डे घोषित किया था। हालांकि भारत सहित कई दक्षिण एशियाई देशों में अगस्त के पहले रविवार को फ्रेंडशिप डे मनाया जाता है। ओहायो के ओर्बलिन में 8 अप्रैल को फ्रेंडशिप डे मनाया जाता है।
फ्रेंडशिप डे पश्चिमी सभ्यता की सोच और मांग है जहां के एकल जीवन में अकसर दोस्तों का महत्व बेहद कम हो जाता है.
भारत में तो प्राचीन सभ्यता से ही दोस्ती की कई मिसालें देखने को मिलती हैं. राम ने दोस्ती के वास्ते ही सुग्रीव की मदद की थी,
कृष्ण और सुदामा की दोस्ती की मिसाल तो जमाना आदि काल से देता आ रहा है. पश्चिम की तुलना में भारत में दोस्ती व्यापक पैमाने पर फैली हुई है. यहां समाज में लोग ज्यादा घुलमिल कर रहते हैं.
फ्रेंडशिप डे की शुरुआत
व्यक्ति के जीवन में दोस्तों की अहमियत को समझते हुए और दोस्तों के प्रति आभार और सम्मान व्यक्त करने के उद्देश्य से अमेरिकी कांग्रेस ने सन 1935 में फ्रेंडशिप डे मनाने की घोषणा कर दी थी. अमेरिकी कांग्रेस के इस घोषणा के बाद हर राष्ट्र में अलग-अलग दिन फ्रेंडशिप डे मनाया जाने लगा.
भारत में यह हर वर्ष अगस्त माह के पहले रविवार को मनाया जाता है. सन 2011 से संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस दिन को एकरूपता देने और पहले से अधिक हर्षोल्लास से मनाने के उद्देश्य से 30 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय फ्रेंडशिप डे घोषित कर दिया है. लेकिन इसके बावजूद इस वर्ष अधिकतर देशों में फ्रेंडशिप डे 06 अगस्त को मनाया जाता है यानि अगस्त के पहले रविवार को.
दोस्ती का एक रिश्ता ऐसा है जो हम बनाते हैं. दोस्त से हम अपने दिल की सारी बातें कह सकते है. प्रेम, विश्वास और आपसी समझदारी के इस रिश्ते को दोस्ती कहते हैं. दोस्ती का रिश्ता जात-पांत, लिंग भेद तथा देशकाल की सीमाओं को नहीं जानता. पर इन सबके बावजूद हमारे समाज में एक लड़का और एक लड़की की दोस्ती को लेकर अकसर सवाल खड़े किए जाते हैं. एक लड़के और लड़की की दोस्ती को सहजता से लेने की बजाय उन पर प्रश्न चिन्ह लगाया जाता है.
एल लड़के और लड़की की दोस्ती पर प्रश्न उठाने वालों को अकसर यह डर सताता है कि कहीं दोनों प्यार ना कर बैठें, वह प्यार जिसे चाहते तो सभी हैं लेकिन जब यही प्यार कोई अपना कर ले तौबा-तौबा करने लगते हैं.
आज फ्रेंडशिप डे के दिन हम उम्मीद करते हैं समाज अपनी विचारधारा में बदलाव करेगा और संसार में दोस्ती की नई बयार बहेगी.
30 जुलाई को होता है इंटरनेशनल फ्रेंडशिप डे
दुनियाभर के अलग-अलग देशों में फ्रेंडशिप डे अलग-अलग दिन मनाया जाता है। 27 अप्रैल 2011 को संयुक्त राष्ट्र संघ की आम सभा ने 30 जुलाई को आधिकारिक तौर पर इंटरनेशनल फ्रेंडशिप डे घोषित किया था। हालांकि भारत सहित कई दक्षिण एशियाई देशों में अगस्त के पहले रविवार को फ्रेंडशिप डे मनाया जाता है। ओहायो के ओर्बलिन में 8 अप्रैल को फ्रेंडशिप डे मनाया जाता है।
इन 25 यारों से उपरवाला बचाए
सर्वज्ञानी: आपने आखिरी बार अपनी बात ऐसे दोस्त के सामने कब सही साबित किया था? याद नहीं है न? ऐसे दोस्तों को तो जरूर याद कर रहे होंगे आप।
म्यूजिक के ज्ञानी: ऐसे दोस्त, जो हर सिचुएशन में आपके लिए बढ़िया गाना सुझाते हैं, और कहते हैं-इसे सुन। मस्त हो जाएगा।
आंखों में फटाफट आंसू लाने वाले दोस्त: हमारे फ्रेंड सर्कल में कोई न कोई ऐसा दोस्त जरूर होता है, जो बात बात पर इमोशनल हो जाता है। कई बार तो वो आपको रुला भी देता है।
मोटिवेट करने वाला दोस्त: जब आपका समय खराब चल रहा हो, तभी दोस्त आकर कहे कि अबे, ये काम तो हमने कर लिया, तुम्हारे लिए तो छोटी बात है। परेशान मत हो, काम हो जाएगा। ऐसे खास दोस्तों के लिए ही फ्रेंडशिप डे बना है।
हमेशा भरोसा दिलाने वाला दोस्त: आप जब भी कभी खुद को अकेला महसूस कर रहे हों, तो ऐसे दोस्त आपको हमेशा हंसाने की कोशिश करते रहते हैं। आप उनके रहते कभी खुद को अकेला महसूस कर ही नहीं सकते।
कॉमन फ्रेंड: एक ही लड़की पर दो के दोनों दोस्तों का फ्लैट हो जाना। पर, नजरअंदाज करते हुए एक-दूसरे से उसके बारे में इन्फॉमेशन निकलवाना। ऐसे दोस्त हर किसी की लाइफ में जरूर होते हैं।
असली दोस्त: ऐसे दोस्त, जो हमेशा काम आते हैं। हर जरूरत में साथ खड़े होते हैं।
जीत की खुशी दिलाने वाला दोस्त: जब आप कोई काम कर रहे हों, या मुश्किल के दौर से गुजर रहे हों। तब आपकी जीत पर सबसे पहले बधाई देने वाला दोस्त आपका सच्चा दोस्त होता है। जीत मिलते ही वो दोस्त गले से लगा लेता है।
बात बात पर नुक्श निकालने वाला दोस्त: सबकी लाइफ में कोई न कोई ऐसा दोस्त होता है, जो हर बात में टांग खींचता है। आपकी हर बात को काटता है।
हमेशा दोस्ती पर अफसोस जाहिर करने वाला दोस्त: छोटी मोटी बात पर ये कहना कि तुझसे दोस्ती करके गलती कर दी। याद आया ऐसा कोई दोस्त?
आपको कभी न समझ पाने वाला दोस्त: ऐसे भी दोस्त खास होते हैं। जो हर बात पे कहते हैं, अरे-मुझे लगता था कि ये काम तुम कर ही नहीं पाओगे।
इमोशनल अत्याचारी दोस्त: जी हां, काम करो तो ठीक है। नहीं करो, तो आगे से बात मत करना वाले दोस्त। ऐसे दोस्तों का खूब मजाक भी उड़ता है। अक्सर फ्रेंड सर्कल में ऐसे दोस्तों को नौटंकी बोला जाता है।
चौंक जाने वाले दोस्त: आप कोई काम कर रहे हों, और वो हो जाने पर जो दोस्त चौंक कर कहते हैं कि अरे, ये काम हो गया? दरअसल, उन्हें भरोसा ही नहीं होता कि ये काम आप कर भी सकते हैं। ऐसे भी दोस्त हमारे सर्कल में होते ही होते हैं।
भुलक्कड़ दोस्त: ऐसे दोस्त, जो आपका जन्मदिन तक भूल जाएं। और फिर कहें कि याद क्यों नहीं दिलाया। आगे बोलें कि सॉरी यार, मुझे कुछ याद ही नहीं रहता। याद आई ऐसे बदमाश दोस्त की?
क्या सोचा था, क्या निकले: ऐसे भी दोस्त आपकी लाइफ में होते हैं, जो छोटी सी गलती होते ही चीखते हैं। और फिर कहते है कि तुझे अच्छा समझा था, पर तू तो धोखेबाज निकला।
सबसे अलग और सबसे खास दोस्त: आपके सबसे करीब वाला दोस्त। जो हर बात में आपकी अहमियत जताता हो।
सच्चे प्यार पर यकीन करने वाला दोस्त: याद करें, आपकी फ्रेंड सर्कल में कोई न कोई मजनू निकल ही आएगा। और अगर आप किसी को पसंद करते हैं, तो ये कहकर वो आपको बचाएगा कि सच्चा प्यार होगा, तो जरूर मिलेगा।
सीक्रेट क्रश: जी हां, आपके फ्रेंड सर्कल में कोई ऐसा भी होता है, जो मन से तो आपको चाहता है। पर कभी कहता नहीं। ऐसे दोस्तों के राज काफी समय बाद खुलते हैं।
कही भी खाने का मौका ढूंढने वाले दोस्त: याद करिए, हॉस्टल लाइफ में आप किन दोस्तों के साथ बिन बुलाए ही शादी-पार्टियों में घुस जाते थे?
पागल दोस्त: अगर आप किसी पार्टी में गए हों, और वापस लौटते ही दोस्त सवाल पूछे। कोई मिली क्या? ऐसे दोस्त तो होंगे ही आपके पास।
इंस्पायर्ड करने वाला दोस्त: अरे, उसे देख न। कल तक लफंगई करता था, आज कहां पहुंच गया। अब से हम सभी मेहनत करेंगे और उसके जैसा बनेंगे। ऐसा कहने वाले दोस्त भी सबकी लाइफ में होते हैं।
फिलॉसफी झाड़ने वाले दोस्त: हर बात का कोई न कोई लॉजिक निकाल देने वाले दोस्त भी लाइफ में होते हैं। इनके बिना लाइफ बोरियत लगने लगती है।
आपको अपनी ओर खींचने वाले दोस्त: ऐसे भी दोस्त हर किसी की लाइफ में होते होंगे, जिनके पास आप हमेशा न भी जाना चाहें, तो वे आपको खींच ही लाते हैं।
आपकी गलती निकालने वाला दोस्त: आप कोई भी काम कितने ही सही ढंग से न कर लें। पर इस तरह के दोस्त आपकी हर बात में कोई न कोई गलती निकाल ही देते हैं।
असली
असली दोस्त: ऐसे दोस्त, जो हमेशा काम आते हैं। हर जरूरत में साथ खड़े होते हैं।