बड़े काम का पुदीना, इन बीमारियों में दे राहत ~ Shamsher ALI Siddiquee

Shamsher ALI Siddiquee

मैं इस विश्व के जीवन मंच पर अदना सा किरदार हूँ जो अपनी भूमिका न्यायपूर्वक और मन लगाकर निभाने का प्रयत्न कर रहा है। पढ़ाई लिखाई के हिसाब से विज्ञान के इंफोर्मेशन टेक्नॉलोजी में स्नातक हूँ और पेशे से सॉफ़्टवेयर इंजीनियर हूँ तथा मेरी कंपनी में मेरा पद मुझे लीड सॉफ़्टवेयर इंजीनियर बताता है।

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बड़े काम का पुदीना, इन बीमारियों में दे राहत

    



पुदीने में कई औषधीय गुण होते हैं। सिरदर्द हो रहा हो या पेट में कोई तकलीफ हो, पुदीना फायदेमंद होता है। हिचकी आना भी बंद हो जाती है। इसकी चटनी भी बहुत स्वादिष्ट होती है। यहीं नहीं सौंदर्य निखार के लिए भी पुदीना कारगर है। तो आइए आज हम आपको इससे होने वाले फायदों के बारे में बताते हैं...
उपयोग
मेन्थोल का उपयोग बड़ी मात्रा में दवाईयों, सौदर्य प्रसाधनों, कालफेक्शनरी, पेय पदार्थो, सिगरेट, पान मसाला आदि में सुगंध के लिये किया जाता है। इसके अलावा इसका उड़नशील तेल पेट की शिकायतों में प्रयोग की जाने वाली दवाइयों, सिरदर्द, गठिया इत्यादि के मल्हमों तथा खाँसी की गोलियों, इनहेलरों, तथा मुखशोधकों में काम आता है। यूकेलिप्टस के तेल के साथ मिलाकर भी यह कई रोगों में काम आता है। अमृतधारा नामक बहुउपयोगी आयुर्वेदिक औषधि में भी सतपुदीने का प्रयोग किया जाता है। विशेष रूप से गर्मियों में फैलने वाली पुदीने की पत्तियाँ औषधीय और सौंदर्योपयोगी गुणों से भरपूर है। इसे भोजन में रायता, चटनी तथा अन्य विविध रूपों में उपयोग में लाया जाता है। संस्कृत में पुदीने को पूतिहा कहा गया है, अर्थात् दुर्गंध का नाश करनेवाला। इस गुण के कारण पुदीना चूइंगम, टूथपेस्ट आदि वस्तुओं में तो प्रयोग किया ही जाता है, चाट के जलजीरे का प्रमुख तत्त्व भी वही होता है। गन्ने के रस के साथ पुदीने का रस मिलाकर  पीने को स्वास्थ्यवर्धक माना गया है। सलाद में इसकी पत्तियाँ डालकर खाने में भी यह स्वादिष्ट और पाचक होता है। कुछ नहाने के साबुनों, शरीर पर लगाने वाली सुगंधों और हवाशोधकों (एअर फ्रेशनर) में भी इसका प्रयोग किया जाता है।
औषधीय गुण
स्वदेशी चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में पुदीने के ढेरों गुणों का बखान किया गया है। यूनानी चिकित्सा पद्धति हिकमत में पुदीने का विशिष्ट प्रयोग अर्क पुदीना काफ़ी लोकप्रिय है। हकीमों का मानना है कि पुदीना सूचन को नष्ट करता है तथा आमाशय को शक्ति देता है। यह पसीना लाता है तथा हिचकी को बंद करता है। जलोदर व पीलिया में भी इसका प्रयोग लाभदायक होता है। आयुर्वेद के अनुसार पुदीने की पत्तियाँ कच्ची खाने से शरीर की सफाई होती है व ठंडक मिलती है। यह पाचन में सहायता करता है। अनियमित मासिकघर्म की शिकार महिला के शारीरिक चक्र में प्रभावकारी ढंग से संतुलन कायम करता है। यह भूख खोलने का काम करता है। पुदीने की चाय या पुदीने का अर्क यकृत के लिए अच्छा होता है और शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में बहुत ही उपयोगी है। मेंथॉल ऑइल पुदीने का ही अर्क है और दांतो से संबंधित समस्याओं को दूर करने में सहायक होता है। जहरीले जंतुओं के काटने पर देश के स्थान पर पुदीने का रस लगा देने से विष का शमन होता है तथा पुदीने की सुगंध से बेहोशी दूर हो जाती है। अंजीर के साथ पुदीना खाने से फेफड़ों में जमा बलगम निकल जाता है।
पुदीना एक छोटा-सा पौधा होता है जो अक्सर नमी वाली भूमि पर उगता है। इसमें उड़नशील तेल पाया जाता है, जो पिपरमिंट जैसी सुगंध देता है। 
इसका वानस्पतिक नाम मेन्था स्पीकेटा है। वनांचलों में आदिवासी इसका इस्तेमाल कई तरह की स्वास्थ्य समास्याओं के निदान के लिए करते हैं।
दाद या त्वचा पर सूक्ष्मजीव संक्रमण होने पर पुदीना के पत्तों का रस दिन में 3 -4बार लेपित किया जाए तो आराम मिलता है। पत्तियों को कुचलकर सीधे त्वचा पर रगड़ा जाए तो भी फायदा होता है।
पुदीने का सत निकालकर साबुन के पानी में घोलकर सिर पर डालें। 15-20 मिनट तक सिर में लगा रहने दें। बाद में सिर को जल से धो लें। दो-तीन बार इस प्रयोग को करने से बालों में पड़ गई जुएँ मर जाएँगी।

चेहरे को चमकाए
अगर आपकी त्वचा ऑइली है, तो पुदीने का फेशल आपके लिए सही रहेगा। इसको बनाने के लिए दो बड़े चम्मच ताजा पीसे पुदीने के साथ दो बड़े चम्मच दही और एक बड़ा चम्मच ओटमील लेकर गाढ़ा घोल बनाएं। इसे चेहरे पर दस मिनट तक लगाएं और चेहरे को धो लें। इसके रस को चेहरे पर लगाने से कील और मुंहासे दूर हो जाते हैं। पुदीने के रस को मुल्तानी मिट्टी में मिलाकर चेहरे पर लेप करने से चेहरे की झांइयां खत्म हो जाती हैं और चेहरे की चमक बढ़ जाती है। शराब में पुदीने की पत्तियों को पीसकर चेहरे पर लगाने से चेहरे के दाग, धब्बे, झांई मिट जाते हैं।
पुदीने की कुछ पत्तियों की कुचलकर इसमें 3 बूंद नींबू के रस की डाली जाए और इस मिश्रण को चेहरे के कील मुंहासों पर लगा दिया जाए, 5 मिनट बाद चेहरा धो लिया जाए, एक सप्ताह में ही मुहांसे और कील खत्म हो जाएंगे और चेहरा चमक उठेगा।
घाव को भरे
पुदीने का रस किसी घाव पर लगाने से घाव जल्दी भर जाते हैं। यह चर्म रोगों को भी खत्म करने में मदद करता है। चर्म रोग होने पर पुदीना के पत्तों का लेप लगाने से आराम मिलता है।
हिचकी, सिर दर्द, मुंह की बदबू से राहत
पुदीने की पत्तियां चबाने या उनका रस निचोड़कर पीने से हिचकियां बंद हो जाती हैं। सिरदर्द में पत्तियों का लेप माथे पर लगाने से आराम मिलता है।पुदीने के रस को नमक के पानी के साथ मिलाकर कुल्ला करने से गले का भारीपन दूर हो जाता है और आवाज साफ होती है।पुदीने की पत्तियों को सुखाकर बनाए गए पाउडर को मंजन की तरह प्रयोग करने से मुंह की दुर्गंध दूर होती है और मसूड़े मजबूत होते हैं।
जुकाम, खांसी और बुखार में राहत
पातालकोट के आदिवासियों के अनुसार करीब एक गिलास पानी में 10 पुदीने की पत्तियां, थोड़ी-सी काली मिर्च और थोडा काला नमक डालकर उबालें। 5 मिनट उबालने के बाद इस पानी को छानकर पीने से सर्दी खांसी, जुकाम और बुखार से आराम मिलता है।
पेट की बीमारियों से आराम
पुदीने की पत्तियों का ताजा रस नींबू और शहद के साथ समान मात्रा में लेने से पेट की सभी बीमारियों में आराम मिलता है।
पेट दर्द और अतिसार में इसके पत्तों को अनारदानों के साथ पीसकर अदरक के रस के साथ मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।
उल्टी में राहत
उल्टी होने पर आधा कप पुदीना हर दो घंटे में रोगी को पिलाएं। उल्टी आना बंद हो जाएगी।ज्यादा गर्मी में जी मिचलाए तो एक चम्मच सूखे पुदीने की पत्तियों का चूर्ण और आधी छोटी इलायची के चूर्ण को एक गिलास पानी में उबालकर पीने से फायदा होता है।
कॉलेस्ट्रॉल लेवल में कमी
पुदीने में मौजूद फाइबर कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करता है और मैगनीशियम हड्डियों को ताकत देता है।

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