पिछले कुछ सालों में भारत के साथ ही पूरे विश्व भर में धूम्रपान
करने और उससे पीड़ित लोगों की संख्या में लगातार इजाफा हुआ है। इस गंभीर लत ने कई लोगों को मौत का ग्रास तक बना दिया।
करने और उससे पीड़ित लोगों की संख्या में लगातार इजाफा हुआ है। इस गंभीर लत ने कई लोगों को मौत का ग्रास तक बना दिया।
तंबाकू और धूम्रपान के दुष्परिणामों को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन के
सदस्य देशों ने इसके लिए एक प्रस्ताव रखा जिसके बाद हर साल 31 मई को
तंबाकू निषेध दिवस मनाने का निर्णय लिया गया। तभी से 31 मई को
प्रतिवर्ष विश्व धूम्रपान निषेध दिवस के रूप में इसे मनाया जाता है।
सदस्य देशों ने इसके लिए एक प्रस्ताव रखा जिसके बाद हर साल 31 मई को
तंबाकू निषेध दिवस मनाने का निर्णय लिया गया। तभी से 31 मई को
प्रतिवर्ष विश्व धूम्रपान निषेध दिवस के रूप में इसे मनाया जाता है।
कुछ लोग यह कहकर सिगरेट पीते हैं कि इससे फ्रेश महसूस होता है लेकिन एक सिगरेट पीने से जिंदगी के 11 मिनट कम हो जाते हैं। इसके अलावा एक सिगरेट में 4,000 ऐसे केमिकल्स होते हैं जिससे कैंसर फैलता है। दुनिया में हर सेकंड में एक मौत तंबाकू सेवन के कारण होती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल करीब 10 लाख लोगों की मौत तंबाकू सेवन के कारण होती है और इस आंकड़े को 2020 तक 20 लाख पहुंच जाने की संभावना है।
ऐसे लगती है लत
तंबाकू में कई केमिकल होते हैं, जिनमें निकोटिन प्रमुख है। निकोटिन हमारे नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है। इसे लेने से इंसान को फौरी तौर पर बेहतर और हल्का महसूस होता है और जल्दी ही इसे इसकी लत लग जाती है।
तंबाकू में कई केमिकल होते हैं, जिनमें निकोटिन प्रमुख है। निकोटिन हमारे नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है। इसे लेने से इंसान को फौरी तौर पर बेहतर और हल्का महसूस होता है और जल्दी ही इसे इसकी लत लग जाती है।
तंबाकू के नुकसान
कैंसर, बांझपन, अस्थमा, दिल की बीमारी, सांस की दिक्कत आदि। स्मोकिंग से दिल की बीमारी होने के चांस ज्यादा होते हैं तो किसी भी रूप में तंबाकू चबाने पर कैंसर की आशंका ज्यादा होती है।
कैंसर, बांझपन, अस्थमा, दिल की बीमारी, सांस की दिक्कत आदि। स्मोकिंग से दिल की बीमारी होने के चांस ज्यादा होते हैं तो किसी भी रूप में तंबाकू चबाने पर कैंसर की आशंका ज्यादा होती है।
यूं छोड़ सकते हैं आप तंबाकू सेवन
सबसे पहले खुद को तैयार करें कि आप स्मोकिंग छोड़ सकते हैं। खुद पर विश्वास बनाए रखें।
सबसे पहले खुद को तैयार करें कि आप स्मोकिंग छोड़ सकते हैं। खुद पर विश्वास बनाए रखें।
स्मोकिंग छोड़ने के लिए एक दिन तय करें। कैलेंडर में मार्क करें। उसी दिन से शुरू करें।
छोड़ने की वजहों, नुकसान और फायदों को पेपर पर लिखें और ऐसी जगह लगाएं जहां बार-बार निगाह पड़ती हो।
अपने घर, ऑफिस और कार से सिगरेट को हटा दें।
ऐसे लोग और जगहों से दूर रहें, जहां पर स्मोकिंग के चांस ज्यादा हों।
सिरदर्द, बेचैनी, घबराहट, उलटी और पाचन में परेशानी जैसी दिक्कतें हो सकती हैं, इनके लिए तैयार रहें।
अपने करीबी लोगों को स्मोकिंग छोड़ने की प्लानिंग के बारे में बताएं और उनकी मदद लें।
हो सके तो अपने डॉक्टर या काउंसलर की मदद लें।
इस दौरान खासतौर पर हेल्दी खाएं और तनाव न लें।
फिजिकली ऐक्टिव रहें। रोजाना 45 से 60 मिनट एक्सरसाइज जरूर करें। - योग और मेडिटेशन जरूर करें। इससे मन रिलैक्स रहेगा।
स्मोकिंग छुड़ाने में बहुत कारगर है निकोटिन रिप्लेसमेंट थेरपी
तंबाकू या सिगरेट के अलावा किसी और तरीके से बॉडी में निकोटिन पहुंचाने को निकोटिन रिप्लेसमेंट थेरपी (NRT) कहते हैं। स्मोकिंग छुड़ाने के लिए NRT यूज की जाती है। इसके तहत निकोटिन के चुइंगम, स्प्रे, इनहेलर, पैच आदि दिए जाते हैं लेकिन सबसे आसान और अच्छा तरीका चुइंगम है। NRT को डब्ल्यूएचओ ने मंजूरी दी हुई है। निकोटिन गम को चुइंगम की तरह लगातार न चबाएं, बल्कि कुछ देर चबाकर मुंह में रख लें और फिर से कुछ देर चबाएं। इससे निकोटिन धीरे-धीरे निकलेगा और तलब कम होगी। लगातार चबाने से तीखापन बढ़ जाएगा।
इसमें कम मात्रा में निकोटिन होता है और धुएं में पाए जानेवाले टॉक्सिन इसमें नहीं होते। इसका मकसद निकोटिन की मात्रा को कम कर धीरे-धीरे लत को दूर करना होता है। इनमें निकोटिन की मात्रा काफी कम होती है और लत लगने के चांस काफी कम होते हैं। निकोटिन थेरपी से तंबाकू की तलब कम होती है और स्मोकिंग छोड़ने के चांस 50-70 फीसदी तक कम हो जाते हैं।
तंबाकू या सिगरेट के अलावा किसी और तरीके से बॉडी में निकोटिन पहुंचाने को निकोटिन रिप्लेसमेंट थेरपी (NRT) कहते हैं। स्मोकिंग छुड़ाने के लिए NRT यूज की जाती है। इसके तहत निकोटिन के चुइंगम, स्प्रे, इनहेलर, पैच आदि दिए जाते हैं लेकिन सबसे आसान और अच्छा तरीका चुइंगम है। NRT को डब्ल्यूएचओ ने मंजूरी दी हुई है। निकोटिन गम को चुइंगम की तरह लगातार न चबाएं, बल्कि कुछ देर चबाकर मुंह में रख लें और फिर से कुछ देर चबाएं। इससे निकोटिन धीरे-धीरे निकलेगा और तलब कम होगी। लगातार चबाने से तीखापन बढ़ जाएगा।
इसमें कम मात्रा में निकोटिन होता है और धुएं में पाए जानेवाले टॉक्सिन इसमें नहीं होते। इसका मकसद निकोटिन की मात्रा को कम कर धीरे-धीरे लत को दूर करना होता है। इनमें निकोटिन की मात्रा काफी कम होती है और लत लगने के चांस काफी कम होते हैं। निकोटिन थेरपी से तंबाकू की तलब कम होती है और स्मोकिंग छोड़ने के चांस 50-70 फीसदी तक कम हो जाते हैं।
तंबाकू से जुडे कुछ तथ्य -
1. विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ के मुताबिक दुनिया के करीब 125 देशों में तंबाकू का उत्पादन होता है।
1. विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ के मुताबिक दुनिया के करीब 125 देशों में तंबाकू का उत्पादन होता है।
2. दुनियाभर में हर साल करीब
5.5 खरब सिगरेट का उत्पादन होता है और एक अरब से ज्यादा लोग इसका सेवन करते हैं।
5.5 खरब सिगरेट का उत्पादन होता है और एक अरब से ज्यादा लोग इसका सेवन करते हैं।
3. रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में 80 फीसदी पुरुष तंबाकू का सेवन करते हैं, लेकिन कुछ देशों में महिलाओं में धूम्रपान करने की आदत काफी बढ़ी है।
4. दुनियाभर में धूम्रपान करने वालों का करीब 10
फीसदी भारत में है, रिपोर्ट के अनुसार भारत में
करीब 25 हजार लोग गुटखा, बीडी, सिगरेट, हुक्का
आदि के जरिये तंबाकू का सेवन करते हैं।
फीसदी भारत में है, रिपोर्ट के अनुसार भारत में
करीब 25 हजार लोग गुटखा, बीडी, सिगरेट, हुक्का
आदि के जरिये तंबाकू का सेवन करते हैं।
5. भारत में 10 अरब सिगरेट और 72 करोड़ 50 लाख किलो तंबाकू का उत्पादन होता है।
6. भारत तंबाकू निर्यात के मामले में ब्राजील, चीन,
अमेरिका,मलावी और इटली के बाद छठे नंबर पर है।
अमेरिका,मलावी और इटली के बाद छठे नंबर पर है।
7. विकासशील देशों में हर साल 8 हजार बच्चों की मौत
अभिभावकों द्वारा किए जाने वाले धूम्रपान के कारण होती है।
अभिभावकों द्वारा किए जाने वाले धूम्रपान के कारण होती है।
8. दुनिया के किसी अन्य देश के मुक़ाबले में भारत में तंबाकू से होने वाली बीमारियों से मरने वाले लोगों की संख्या बहुत
तेजी से बढ़ रही है।
तेजी से बढ़ रही है।
9. किसी भी प्रकार का धूम्रपान 90 प्रतिशत से अधिक फेफड़े
के कैंसर, ब्रेन हेमरेज और पक्षाघात का प्रमुख कारण है।
के कैंसर, ब्रेन हेमरेज और पक्षाघात का प्रमुख कारण है।
10. सिगरेट व तंबाकू - मुंह , मेरूदंड, कंठ और मूत्राशय के कैंसर के रूप में प्रभावी होता है ।
11. सिगरेट व तंबाकू में मौजूद कैंसरजन्य पदार्थ शरीर की
कोशिकाओं के विकास को रोककर उनके नष्ट होने और कैंसर के बनने में मदद करता
है।
कोशिकाओं के विकास को रोककर उनके नष्ट होने और कैंसर के बनने में मदद करता
है।
12. लंबे समय तक धूम्रपान करने से मुंह, गर्भाशय, गुर्दे और पाचक ग्रंथि में कैंसर होने की अत्यधिक संभावना होती है।
13. धूम्रपान का सेवन और न चाहते हुए भी उसके धुंए का सामना, हृदय और मस्तिष्क की बीमारियों का मुख्य कारण है।
14. धूम्रपान के धूएं में मौजूद निकोटीन, कार्बन मोनो आक्साइड जैसे पदार्थ हृदय, ग्रंथियों और धमनियों से संबंधित रोगों के कारण हैं।
भारत में सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर पाबंदी है, इसके बावजूद लचर
कानून व्यवस्था के चलते इस पर अमल नहीं हो पाता। भारत में आर्थिक
मामलों की संसदीय समिति पहले ही
राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम को मंज़ूरी दे
चुकी है। इसका मक़सद तंबाकू नियंत्रण कानून के प्रभावी
क्रियान्वयन और तम्बाकू के हानिकारक प्रभावों के बारे में लोगों तक जागरूकता फैलाना
है।
कानून व्यवस्था के चलते इस पर अमल नहीं हो पाता। भारत में आर्थिक
मामलों की संसदीय समिति पहले ही
राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम को मंज़ूरी दे
चुकी है। इसका मक़सद तंबाकू नियंत्रण कानून के प्रभावी
क्रियान्वयन और तम्बाकू के हानिकारक प्रभावों के बारे में लोगों तक जागरूकता फैलाना
है।