रोज़ों के दौरान ये खाएं, और इनसे करें परहेज ~ Shamsher ALI Siddiquee

Shamsher ALI Siddiquee

मैं इस विश्व के जीवन मंच पर अदना सा किरदार हूँ जो अपनी भूमिका न्यायपूर्वक और मन लगाकर निभाने का प्रयत्न कर रहा है। पढ़ाई लिखाई के हिसाब से विज्ञान के इंफोर्मेशन टेक्नॉलोजी में स्नातक हूँ और पेशे से सॉफ़्टवेयर इंजीनियर हूँ तथा मेरी कंपनी में मेरा पद मुझे लीड सॉफ़्टवेयर इंजीनियर बताता है।

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रोज़ों के दौरान ये खाएं, और इनसे करें परहेज

    


 इस बार का रमज़ान कई मायनों में बेहद खास है। इस बार हर रोज़ा करीब 15 घंटे लंबा होगा। इसके अलावा ये रोज़े जून की भीषण गर्मी में रखने होंगे। रोज़े में पानी भी नहीं पीना होता है, जिसके चलते डिहाइड्रेशन आम बात है। ऐसे में ज़रा सी लापरवाही बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकती है। रोज़े के दौरान किस तरह की चीजें खाएं और संभलकर कैसे रहें, जानते हैं....

डिहाइड्रेशन:
जून की झुलसा देने वाली गर्मी में रोज़े रखना साधारण बात नहीं है और वह भी 15 घंटों तक। रोज़ेदारों को इस दौरान पानी पीने की इजाजत नहीं होती है। ऐसे में उन्हें भारी काम करने से बचना चाहिए। दूसरे शब्दों में कहें तो ऐसे काम से बचें जिसमें पसीना निकले। मसलन साइकल चलाने या ज्यादा एक्सरसाइज़ करने से बचें।


हार्ट अटैक: 
अक्सर ऐसा देखा गया है कि रोज़ा रखने वालों का ग्लूकोज़ लेवल काफी बढ़ जाता है। 70-80 फीसदी मामलों में ऐसा देखा गया है। ऐसे में इस तरफ खास ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि इसके चलते हार्ट अटैक का ख़तरा करीब चार गुना तक बढ़ जाता है।


रोज़ेदारों को चाहिए कि वे सहरी या इफ्तार में चाय या कॉफी लेने की बजाय पानी या शिकंजी का सेवन करें। इससे लंबे समय तक पानी की कमी तो नहीं ही होगी साथ ही शुगर का स्तर भी बहुत ज्यादा नहीं बढ़ेगा।

चक्कर आना:
रोज़े के दौरान लंबे समय तक कुछ नहीं खाना पड़ता है। ऐसे में शरीर को लगातार ऊर्जा मुहैया करा पाना मुश्किल काम है। मस्तिष्क तक भी रक्त की आपूर्ति भी सुचारू रूप से नहीं हो पाती और चक्कर आना या चिड़चिड़ापन बढ़ जाना आम बात हो जाती है।


इस दौरान प्रोटीन और एनर्जी वाली चीजों का सेवन अधिक से अधिक करना चाहिए। सहरी में खजूर, सूखे मेवे और फल भरपूर मात्रा में लें।

वज़न बढ़ना:
कई बार देखा गया है कि रोज़े के बाद अक्सर लोगों को वज़न घटने की बजाय एकाएक बढ़ जाता है। लोग यह समझ नहीं पाते कि इतने दिनों तक भूखे रहने के बाद भी उनका वज़न कैसे बढ़ गया।


इसका सबसे आसान जवाब है कि वे सहरी या इफ्तार के दौरान अव्यस्थित तरीके से खाते हैं, इसलिए ऐसा होता है। इस दौरान वे बड़ी मात्रा में ग्लूकोज़ और वसा वाली चीजें एक साथ खाते हैं, जबकि तेल वाली चीजों से इस दौरान परहेज ही करना चाहिए। इसके अलावा 'वाइट फूड' (चावल, वाइट ब्रेड, चीनी आदि) से भी बचें।

प्रेग्नेंसी में रोज़े:
रमज़ान के दौरान बच्चों से लेकर बुज़ुर्ग तक लगभग सभी लोग रोज़े रखते हैं। इनमें गर्भवती महिलाएं भी शामिल हैं। वैसे तो उन्हें रोज़े रखने से परहेज़ करना चाहिए, लेकिन अगर वे रोज़े रख ही रहीं हैं तो उन्हें इस दौरान खास ध्यान देने की जरूरत होती है।


गर्भवती महिलाओं को कैल्शियम और आयरन से भरपूर चीजें लेनीं चाहिए, ताकि रोज़े के दौरान भी बच्चे को पोषण मिलता रहे। फलों का सेवन अधिक से अधिक करें ताकि शरीर में पानी की मौजूदगी लंबे समय तक बनी रहे। फाइबर से भरपूर भोजन लें। सबसे अहम बात ये कि उन्हें यह सब एक साथ लेने की बजाय थोड़ी-थोड़ी देर पर खाना चाहिए।


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