मौत के बाद कैसे बदलता है आपका शरीर ~ Shamsher ALI Siddiquee

Shamsher ALI Siddiquee

मैं इस विश्व के जीवन मंच पर अदना सा किरदार हूँ जो अपनी भूमिका न्यायपूर्वक और मन लगाकर निभाने का प्रयत्न कर रहा है। पढ़ाई लिखाई के हिसाब से विज्ञान के इंफोर्मेशन टेक्नॉलोजी में स्नातक हूँ और पेशे से सॉफ़्टवेयर इंजीनियर हूँ तथा मेरी कंपनी में मेरा पद मुझे लीड सॉफ़्टवेयर इंजीनियर बताता है।

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मौत के बाद कैसे बदलता है आपका शरीर

    


विज्ञान अभी उस जगह नहीं पहुंचा कि वो बता सके कि शरीर से निकली आत्मा का क्या होता है। पर वहां तक तो पहुंच ही गया है कि वो बता सके कि जब किसी की मौत होती है, तो उसके शरीर का क्या होता है। इस बारे में अमेरिकन केमिकल सोसाइटी ने एक वीडियो जारी किया है, जिसमें बताया गया है कि किसी की मृत्यु के बाद उसका शरीर किस तरह से बदलता है। जो क्रमश: यहां बताया जा रहा है।

दिल रुक जाता है: किसी की मौत होते ही सबसे पहले दिल काम करना बंद कर देता है। और फिर पूरे शरीर में खून का बहाव भी रुक जाता है। इसके बाद खून जमने लगता है।

लिवर की तरफ खून का बहाव: मृत्यु के तुरंत बाद खून का बहाव रुक जाता है, तो खून लिवर के आसपास जमा होने लगता है। त्वचा का रंग बदलने लगता है।

शरीर ठंडा होने लगता है: खून का बहाव रुकते ही शरीर ठंडा पड़ने लगता है। शरीर तुरंत अकड़ने लगता है। शरीर अकड़ने की प्रक्रिया मृत्यु के 3 से 4 घंटों में शुरू होती है।

फेफड़े जाम हो जाते हैं, ऑक्सीजन का कोई मतलब नहीं रह जाता: जीते जी ऑक्सीजन की जितनी जरूरत होती है, मृत्यु के बाद उसकी कोई जरूरत नहीं रह जाती। फेफड़ों के जाम होने के बाद सेल्स को ऑक्सीजन नहीं मिलता और वो काम करना बंद कर देती हैं।

सेल्स खत्म हो जाते हैं: सेल्स काम करना बंद करते ही तेजी से खत्म होते हैं, जो अबतक वैक्टीरिया और फंगस से लड़ रहे होते हैं। सेल्स के टूटने से लाइजोजोमल एंजाइम्स का प्रवाह बढ़ता है, जो बैक्टीरिया और फंगस को पनपने में मदद करते हैं।

सड़न शुरू: इस प्रक्रिया के तुरंत बाद शरीर में सड़न पैदा होने लगती है।

पानी की तरह का लेप निकलना: शव के सड़ते ही उसमें से लेप जैसा निकलने लगता है। जो दुर्गंध फैलने की मुख्य वजह बनता है। पर इस प्रक्रिया में 5-6 दिन लग जाते हैं।

गलन: शव को दफनाने के कई माह बाद शव गलने लगता है। हालांकि हड्डियों को गलने में कई साल लग जाते हैं। लगभग 50 साल या उससे भी अधिक। कई बार तो हड्डियां सैकड़ों सालों तक नहीं गलती।

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