मैं इस विश्व के जीवन मंच पर अदना सा किरदार हूँ जो अपनी भूमिका न्यायपूर्वक
और मन लगाकर निभाने का प्रयत्न कर रहा है। पढ़ाई लिखाई के हिसाब से विज्ञान
के इंफोर्मेशन टेक्नॉलोजी में स्नातक हूँ और पेशे से सॉफ़्टवेयर इंजीनियर
हूँ तथा मेरी कंपनी में मेरा पद मुझे लीड सॉफ़्टवेयर
इंजीनियर बताता है।
हज वाला महीना चल रहा है. दुनियाभर के लाखों मुसलमान सऊदी अरब में हैं. क्योंकि मुसलमानों के लिए जिंदगी में एक बार हज करना अनिवार्य है. अगर वो सक्षम हैं तो. और ये हज सऊदी अरब में ही होता है. हमारे एक दोस्त हैं नाम है जयप्रकाश. कह रहे हैं कि ख़बरें छप रही हैं, इतने लाख मुसलमान मक्का पहुंचे, हमारे यहां तो दो लोग ही पूरे खेत में मक्का बो देते हैं. हज के बारे में उनके ऐसे ही ये 10 सवाल हैं. 8वां सवाल बहुत ख़ास है. हो सकता है आप भी जानना चाहें. तो समझ लीजिए. कोई आपसे पूछे तो बता देना.
सबसे पहले दोस्त को बता दूं कि ये मक्का वो नहीं है, जो उनके यहां खेतों में बोया जाता है. और बाद में आप कॉर्न (मक्का) वाला पिज़्ज़ा या बर्गर खाते हैं या फिर सिनेमाघर में बैठे हुए फुल्ले खाते हैं. बल्कि ये ‘मक्का’ सऊदी अरब का एक शहर है. ये वो शहर है जहां पर मुसलमानों के सबसे बड़े नबी यानी अल्लाह के भेजे गए दूत मुहम्मद साहब का जन्म हुआ था. ये वही शहर है जहां पर एक काले रंग की इमारत है. और उसे मुसलमान अल्लाह का घर बताते हैं. उसकी तरफ मुंह करके दुनियाभर के मुस्लिम नमाज़ पढ़ते हैं. बाकी जानकारी दोस्तजयप्रकाश के सवालों में है. पढ़िए.
1. हज होता क्या है? जब Hutch का मोबाइल सिम खरीदा तो लोग उसे भी हज कहते थे.
जवाब : अरे दोस्त आप भी न. ये वो हच सिम वाला नहीं है. ये हज होता है. इसका मतलब होता है धार्मिक यात्रा. इसी से एक शब्द बना है जो है हिजरत. इसके मानी होता है प्रवास. जब सन 622 में मुहम्मद साहब को पता चला कि मक्का शहर में उनके क़त्ल की साजिश रची जा रही है तो वो सऊदी अरब का ही एक और शहर है मदीना. वहां प्रवास कर गए थे. हां तो आपको हज के बारे में बता रहा था. हज साल में एक बार होता है. इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक ये 12वें महीने ज़िलहिज या ईद-उल-अज़हा की 8 से 12 तारीख के दौरान होता है. इस महीने के बाद इस्लाम का नया साल मुहर्रम के महीने से शुरू होता है. हज यात्रा सऊदी अरब के शहर मक्का में होती है.
2. अच्छा ये बताओ जाते किस सवारी से हैं? और कितना खर्च आता है?
जवाब : बहुत पहले लोग मक्का पानी के जहाज़ से जाते थे, लेकिन 1995 से समुद्री मार्ग से ये यात्रा बंद है. लोग अब हवाई जहाज़ से जाते हैं. हवाई जहाज़ से जाने के लिए पहले आपको दिल्ली से सऊदी अरब के शहर जद्दा जाना होगा. क्योंकि वहां एअरपोर्ट है. दिल्ली से जद्दा 3 हज़ार 894 किलोमीटर दूर है. जहां हवाई जहाज़ से पहुंचने में करीब 4 घंटे लगते हैं. जद्दा पहुंचने के बाद आपको मक्का या मदीना शहर जाने के लिए बस या फिर ट्रेन पकड़नी होगी.
रही खर्च की बात तो आज के दौर में 2 लाख रुपए से ज्यादा का खर्च आता है हजयात्रा में. इस यात्रा के लिए वैसे भारत सरकार हज सब्सिडी देती है. जो लगभग 650 करोड़ रुपए है. ये आमतौर पर सऊदी अरब जाने के लिए हवाई किराए के रूप में दी जाती हैं. हज यात्री को दो कैटेगरी में सफर करने का मौका मिलता है. पहली ग्रीन कैटेगरी और दूसरी अजीजिया कैटेगरी. पिछले साल (2016) में हज यात्रा का खर्चा इस तरह था :
ग्रीन कैटेगरी वालों के लिए
मक्का में रुकने का खर्च 81,000 रुपये मदीना में रुकने का खर्च 9,000 रुपये एयरलाइन्स का टिकट 45,000 रुपये अन्य खर्च 76,320 रुपये कुल खर्च 21,1320 रुपये
अजीजिया कैटेगरी
मक्का में रुकने का खर्च 47,340 रुपये मदीना में रुकने का खर्च 9,000 रुपये एयरलाइन्स का टिकट 45,000 रुपये अन्य खर्च 76,320 रुपये कुल खर्च 17,7660 रुपये
साल 2017 में ये यात्रा करीब 20 हजार रुपए महंगी हो गई. यानी दोनों के टोटल में 20 हज़ार रुपए जोड़ लिए जाएं.
3. अगर दुनियाभर के मुसलमान हज पर पहुंच जाएं तो क्या वो मक्का में आ जाएंगे. क्या इतना बड़ा है मक्का?
जवाब : दोस्त एक बात समझ लो. हर मुसलमान हज यात्रा पर नहीं जा सकता. क्योंकि सऊदी अरब ने हर देश का एक कोटा तय कर रखा है कि वो हर साल अपने यहां से कितने हाजी भेज सकते हैं. क्योंकि मक्का शहर है देश नहीं. और दुनिया में इतने मुसलमान हैं कि कई देशों में आएंगे. सारे मुसलमान पहुंच गए तो रहेंगे कहां, इसलिए कोटा बना दिया गया. इंडोनेशिया का कोटा सबसे ज्यादा है. यहां से 2,20,000 लोग हर साल हज के लिए सऊदी जा सकते हैं. हज के कोटे का ये 14 फीसदी हिस्सा है.
इसके बाद पाकिस्तान (11 फीसदी), भारत (11फीसदी) और बांग्लादेश (8 फीसदी) की बारी आती है. इस लिस्ट में नाइजीरिया, ईरान, तुर्की, मिस्र जैसे देश भी शामिल हैं.
इस बार सऊदी सरकार ने भारत के हज कोटे में 34,500 की बढ़ोतरी की है. पिछले साल यानि 2016 मे देश भर के 21 केन्द्रों से 99,903 हाजियों ने हज कमेटी ऑफ इंडिया के जरिए हज किया और 36 हजार हाजियों ने प्राइवेट टूर ऑपरेटर्स के जरिए हज की अदायगी की थी.
4. मान लो मेरे एक मिलने वाले हैं. मुसलमान हैं. उन्हें हज पर जाना है क्या करना होगा?
जवाब : हवाई यात्रा करने से पहले आपके पास पासपोर्ट होना चाहिए. जो भारत सरकार की तरफ से बनता है. फिर आपके पास सऊदी अरब का वीज़ा होना चाहिए जो सऊदी सरकार देगी कि आप उनके देश जा सकते हो या नहीं. दूसरा अब तो जगह-जगह ऐसी कमेटियां हैं जो हज पर ले जाने का बंदोबस्त कर देती हैं. बस थोड़ा सा चार्ज लेती हैं. इनके पास पैकेज होते हैं. इस पैकेज में सऊदी अरब में रुकने का इंतजाम. हवाई किराया. वहां खाने पीने का इंतजाम सब शामिल होता है. आप इनको अपना पासपोर्ट बनवाकर दे दीजिए और पैसों की बात कर लीजिए. एक से ही नहीं दो-चार एजेंट से पता कर लीजिए तो खर्चे का अंदाजा लग जाता है. जब आपकी इनसे डील हो जाएगी तो बाकी काम ये करा देते हैं. वीज़ा लगाने तक का काम.
दूसरा तरीका सरकारी है. आप फॉर्म भर दीजिए. अगर आपका नसीब तेज़ हुआ तो आपका नंबर आ जाएगा. फिर सरकार अपने वही दो पैकेज सामने रख देगी जो पहले बताए जा चुके हैं. आप उनमें से एक चुन लीजिये और चले जाइए हज करने.
5. करना क्या-क्या होता है वहां?
जवाब : अल्लाह की इबादत. इबादत. इबादत और कुछ नहीं. इस दौरान कुछ रस्में निभानी होती हैं. जिन्हें मुस्लिम अल्लाह का हुक्म कहते हैं. सब कुछ त्याग कर सिर्फ सफेद रंग की दो चादरों से अपने जिस्म को ढंकना होता है. औरतों के लिए रंग की छूट होती है.
हां उन्हें अलग से एक कपड़े से सिर भी ढकना होता है. फिर वहां काबा की परिक्रमा करनी होती है. बकरे, भेड़ या ऊंट की कुर्बानी करानी होती है. नमाज़े पढ़नी होती हैं. अपने सिर के बाल कटाने होते हैं. ये समझ लो पूरा टाइम अल्लाह की इबादत करनी होती है.
6. औरतें और मर्द क्या एक साथ हज करते हैं?
जवाब : मर्द और औरतें दोनों ही एक साथ हज करते हैं. लेकिन नमाज़ अलग-अलग पढ़ते हैं. वहां कोई रिश्ता नहीं रहता. बस सब अल्लाह के बंदे होते हैं. अगर मियां-बीवी साथ गए हैं तो वो उस वक़्त मियां बीवी का ख्याल नहीं ला सकते. बस अल्लाह का ध्यान लगाना होता है.
7. क्या मैं भी वहां जा सकता हूं?
जवाब : जद्दा से जब आप मक्का या मदीने की तरफ चलोगे तो आपको वहां कुछ साइनबोर्ड लगे नज़र आएंगे. जिनपर अरबी और इंग्लिश में निर्देश लिखे नज़र आएंगे. इनपर ये भी लिखा होता है कि मक्का और मदीने में गैर मुस्लिम का प्रवेश वर्जित है. यानी आप वहां नहीं जा सकते. हिंदू ही नहीं बल्कि यहूदी, ईसाई या फिर किसी और धर्म के मानने वाले भी नहीं जा सकते. बस वो ही जा सकते हैं मुसलमान हैं. ला इलाहा (कलमा) पढ़ते हैं. गैर मुस्लिमों के जाने पर बैन है. वैसे ही जैसे आज भी आप सुनते होंगे कि पीरियड के दौरान औरत मंदिर में नहीं जा सकती. या फिर मस्जिद में नहीं जा सकती. बैन है तो बैन. उनकी सरकार है. उनका कानून है.
इसे ऐसे समझिए कि जैसे सभी लोगों को कन्टोन्मेंट एरिया (सैनिक छावनी) में जाने की इजाज़त नहीं होती, वैसे ही हर देश में कुछ न कुछ ऐेसे इलाके ज़रूर होते हैं जहां सभी लोगों को जाने की इजाज़त नहीं होती. सैनिक छावनी में केवल वही लोग जा सकते हैं जो सेना या फिर उससे जुड़े हों. इसी तरह सऊदी अरब के दो शहर मक्का और मदीना हैं. इन शहरों में उन्हें ही एंट्री मिलती है जो इस्लाम में यकीन रखते हैं. मान लो अगर आपको सैनिक छावनी में जाना है तो उसके लिए कुछ डॉक्युमेंट तैयार कराने पड़ेंगे. किसी की इजाज़त लेनी पड़ेगी. वैसे ही यहां जाने के लिए शर्त है कि आप इस्लाम को स्वीकार करें.
8. कई बार सुना है कि काबा में शिव की मूर्ति है, और अगर कोई हिंदू उसपर गंगाजल चढ़ा दे तो सारे मुस्लिम भस्म हो जाएंगे, तो क्या इसलिए हिंदुओं को नहीं जाने देते?
जवाब : मैंने भी सुना है कि चांद पर एक बुढ़िया सूत कात रही है. मगर सच क्या है विज्ञान बताता है और मैं विज्ञान को इसलिए नहीं मानता, क्योंकि मैं बहुत धार्मिक हूं. ऐसे ही अगर मैं कहूंगा कि ये शिव की मूर्ति की बात झूठ है, क्योंकि वहां पर मेरे जानने वाले बहुत लोग गए हैं. तो आप मानोगे नहीं क्योंकि आप हिंदू हो. और तुम्हें मेरी बात वैसे ही सच नहीं लगेगी जैसे मुझे चांद के बारे में विज्ञान की बात सच नहीं लगती, क्योंकि मैंने अपने सुने पर ही विश्वास कर रखा है. अब कोई कितने भी तर्क पेश कर दे.
हां इतना सच ज़रूर है कि मुहम्मद साहब के पहले तक काबा में बुत रखे हुए थे, जिनकी पूजा यहूदी किया करते थे. जब मुहम्मद साहब का दौर आया तो मनात नाम के बुत तोड़ दिए गए. क्योंकि इस्लाम में मूर्ति पूजा नहीं होती. हो सकता है शिव की मूर्ति वाली बात को इससे ही बल मिला हो. लेकिन भस्म वाली बात तो छोड़ ही दो. एकता कपूर का कोई टीवी सीरियल या बॉलीवुड की फिल्म थोड़े ही न है कि गंगाजल छिड़कने से इनसान भस्म हो जाएंगे.
9. अच्छा ये बताओ कि वो शैतान कौन है जिसे कंकड़ मारने के दौरान भगदड़ मच जाती है और लोग मर जाते हैं.
जवाब : ये शैतान इबलीस है. ये पहले शैतान नहीं था. बल्कि अल्लाह का एक फ़रिश्ता (एंजल) था. बड़ी इबादत करता था अल्लाह की. एक बार क्या हुआ कि अल्लाह ने मिट्टी से एक पुतला बनाया जिसे आदम का नाम दिया. अब अल्लाह ने सारे फरिश्तों से कहा कि आदम के सामने सजदा करो. उसके सम्मान में झुको. इबलीस को ये पसंद नहीं आया और बगावत कर बैठा. उसने कहा कि ऐ अल्लाह तूने इसे मिट्टी से बनाया. और हम एंजल है. ये तो हमसे छोटा है तो क्यों सजदा करें. अल्लाह ने कहा ये मेरा हुक्म है. इबलीस ने कहा मैं इसे सजदा नहीं कर सकता. तो अल्लाह ने कहा अगर मेरा हुक्म नहीं मानेगा तो तू मेरा फ़रिश्ता नहीं है. इबलीस ने कहा कि अगर तू सबको छूट दे दे तो कोई तेरा हुक्म नहीं मानेगा. अल्लाह ने कहा छूट दी. जो मेरा बंदा होगा वो भटकेगा नहीं. मेरा हुक्म मानेगा. इबलीस ने कहा मुझे भी आज़ाद कर दे. फिर देख मैं कैसे लोगों को तेरे हुक्म मानने से भटकाता हूं. तब से अल्लाह ने इबलीस को अपने हुक्म से आज़ाद कर दिया. और इबलीस लोगों को भटकाने लगा.
इस्लाम के मुताबिक ये इबलीस अल्लाह के नबी (दूत) हजरत इब्राहीम को उस वक़्त भी बहकाने आया, जब उन्होंने ख्वाब में देखा कि वो अपने बेटे इस्माइल को अल्लाह की राह में कुर्बान कर रहे हैं. और जब इब्राहीम बेटे को ज़िबाह करने मक्का के मीना मैदान में लेकर पहुंचे तो इबलीस ने बहकाया कि क्यों अपने बेटे को मार रहे हो. ये तो तुम्हारे बुढ़ापे का सहारा है. तब इब्राहीम ने कंकड़ उठाकर उसे मारे कि दूर हो जा मेरी नज़रों से. तू अल्लाह के हुक्म को पूरा करने में रुकावट पैदा कर रहा है. तू शैतान है. तब से ही हज के दौरान कंकड़ मारने की रस्म हो रही है. जहां शैतान ने बहकाया था उस जगह तीन पिलर खड़े हैं जिन्हें हाजी पत्थर मारते हैं. हर कोई पहले पत्थर मारना चाहता है. इस वजह से भगदड़ का माहौल बन जाता है अगर व्यवस्था ठीक नहीं होती है तो हादसा भी हो जाता है और लोग मर जाते हैं. लेकिन ये हर बार नहीं होता. उस जगह काफी लोगों को सऊदी सरकार तैनात करती है ताकि कोई अनहोनी न हो.
10. हज वहीं क्यों होता है? कहीं और क्यों नहीं किया जा सकता?
जवाब : काबा की वजह से कहीं और नहीं हो सकता. पहले भी बताया कि मक्का मुहम्मद साहब का पैदाइशी शहर है. इस्लाम की शुरुआत वहीं से है. और सबसे पहले जो काबा की नींव रखी वो हज़रत इब्राहीम ने ही रखी. यानी दूसरा काबा नहीं बन सकता. क्योंकि अब कोई नबी नहीं है. आखिरी नबी मुहम्मद साहब थे. इसे ऐसे समझो जैसे अयोध्या में राम मंदिर का शोर है. लोग कहते हैं कि राम मंदिर कहीं और नहीं बन सकता, दलील दी जाती है कि राम वहीं पैदा हुए हैं. इसी तरह काबा का है. इसलिए हज वहीं होता है.