26 जनवरी: जानिए क्यों मनाया जाता है गणतंत्र दिवस ~ Shamsher ALI Siddiquee

Shamsher ALI Siddiquee

मैं इस विश्व के जीवन मंच पर अदना सा किरदार हूँ जो अपनी भूमिका न्यायपूर्वक और मन लगाकर निभाने का प्रयत्न कर रहा है। पढ़ाई लिखाई के हिसाब से विज्ञान के इंफोर्मेशन टेक्नॉलोजी में स्नातक हूँ और पेशे से सॉफ़्टवेयर इंजीनियर हूँ तथा मेरी कंपनी में मेरा पद मुझे लीड सॉफ़्टवेयर इंजीनियर बताता है।

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26 जनवरी: जानिए क्यों मनाया जाता है गणतंत्र दिवस

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Republic Day: 26 जनवरी 1950 भारतीय इतिहास में इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि भारत का संविधान, इसी दिन अस्तित्व मे आया था.
गणतंत्र दिवस हर भारतीय के लिए बहुत मायने रखता है। यह दिन हम सभी के लिए बहुत महत्व का दिन है जिसे हम बेहद ही उत्साह के साथ मनाते हैं। भारत एक महान देश है और सिर्फ भारत में ही विविधता में ही एकता देखने को मिलती है। जहां विभिन्न जाति और धर्म के लोग प्यार से रहते हैं। 26 जनवरी और 15 अगस्त दो ऐसे राष्ट्रीय दिवस हैं जिन्हें हर भारतीय खुशी और उत्साह के साथ मनाता है।
26 जनवरी 1950 भारतीय इतिहास में इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि भारत का संविधान, इसी दिन अस्तित्व मे आया था और भारत दिन पूर्ण गणतंत्र देश बना। भारत का संविधान लिखित सबसे बङा संविधान है। संविधान निर्माण की प्रक्रिया में 2 वर्ष, 11 महिना, 18 दिन लगे थे। भारतीय संविधान के वास्तुकार डॉ. भीमराव अम्बेडकर प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे। भारतीय संविधान के निर्माताओं ने विश्व के अनेक संविधानों के अच्छे लक्षणों को अपने संविधान में आत्मसात करने का प्रयास किया है। इस दिन भारत एक सम्पूर्ण गणतांत्रिक देश बन गया था । देश को गौरवशाली गणतंत्र राष्ट्र बनाने में जिन देशभक्तों ने अपना बलिदान दिया उन्हें 26 जनवरी दिन याद किया जाता और उन्हें श्रद्धाजंलि दी जाती है।


गणतंत्र दिवस से जुड़े कुछ तथ्य:

पूर्ण स्वराज दिवस (26 जनवरी 1930) को ध्यान में रखते हुए भारतीय संविधान 26 जनवरी को लागू किया गया था।26 जनवरी 1950 को 10.18 मिनट पर भारत का संविधान लागू किया गया।गणतंत्र दिवस की पहली परेड 1955 को दिल्ली के राजपथ पर हुई थी।भारतीय संविधान की दो प्रत्तियां जो हिन्दी और अंग्रेजी में हाथ से लिखी गई।भारतीय संविधान की हाथ से लिखी मूल प्रतियां संसद भवन के पुस्तकालय में सुरक्षित रखी हुई हैं।भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ.राजेंद्र प्रसाद ने गवर्नमैंट हाऊस में 26 जनवरी 1950 को शपथ ली थी।गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति तिरंगा फहराते हैं और हर साल 21 तोपों की सलामी दी जाती है।29 जनवरी को विजय चौक पर बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी का आयोजन किया जाता है जिसमें भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना के बैंड हिस्सा लेते हैं। यह दिन गणतंत्र दिवस के समारोह के समापन के रूप में मनाया जाता है। गणतंत्र दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री अमर ज्योति पर शहीदों को श्रद्धाजंलि देते हैं जिन्होंने देश के आजादी में बलिदान दिया।

211 विद्वानों द्वारा 2 महीने और 11 दिन में तैयार भारत के संविधान को लागू किए जाने से पहले भी 26 जनवरी का बहुत महत्व था। 26 जनवरी एक विशेष दिन के रूप में चिन्हित किया गया था। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 1930 के लाहौर अधिवेशन में पहली बार तिरंगे झंडे को फहराया गया था। साथ-साथ एक और महत्वपूर्ण फैसला इस अधिवेशन के दौरान लिया गया।  

इस दिन सर्वसम्मति से यह फैसला लिया गया था कि प्रतिवर्ष 26 जनवरी का दिन 'पूर्ण स्वराज दिवस' के रूप में मनाया जाएगा।  इस दिन सभी स्वतंत्रता सेनानी पूर्ण स्वराज का प्रचार करेंगे। इस तरह 26 जनवरी अघोषित रूप से भारत का स्वतंत्रता दिवस बन गया था। 

25 नवंबर 1949 को देश के संविधान को मंजूरी मिली। 26 जनवरी 1950 को सभी सांसदों और विधायकों ने इस पर हस्ताक्षर किए और इसके दो दिन बाद यानी 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू कर दिया गया।  

भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को इंडियन स्टैंडर्ड टाइम के अनुसार 10 बजकर 18 मिनट पर लागू हो गया।

लिखित संविधान में कई बार संशोधन होने के बाद इसे अपनाने में 2 साल, 11 महीने और 18 दिन का समय लगा।

26 जनवरी 1950 को डॉ.राजेन्द्र प्रसाद ने गवर्नमेंट हाउस के दरबार हाल में भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। इर्विन स्टेडियम में झंडा फहराया गया। यही पहला गणतंत्र दिवस समारोह था।   मुख्य अतिथि थे इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो।  

गणतंत्र दिवस मनाने का वर्तमान तरीका 1955 में शुरू हुआ। इसी साल पहली बार राजपथ पर परेड हुई। राजपथ परेड के पहले मुख्य अतिथि पाकिस्तान के गवर्नर जनरल मलिक गुलाम मोहम्मद थे।  

संविधान में संघ एवं राज्यों के मध्य शक्तियों का विभाजन कनाडा के संविधान से लिया गया है।  

सोवियत संघ के संविधान से मूल कर्तव्य और आस्ट्रेलिया के संविधान से समवर्ती सूची ली गई है।

गणतंत्र दिवस के मौके पर राजपथ पर तिरंगा फहराया जाता है। फिर राष्ट्रगान गाया जाता है और 21 तोपों की सलामी होती है।  
भारतीय संविधान में आपात उपबंध व्यवस्था जर्मनी के संविधान की गई है।

डॉ. भीमराव अम्बेडकर की अध्यक्षता में बनाया गया भारतीय संविधान 395 अनुच्छेदों और 8 अनुसूचियों के साथ दुनिया में सबसे बड़ा लिखित संविधान था जो और भी विस्तृत हो चुका है।

1950 से 1954 के बीच गणतंत्र दिवस का समारोह कभी इर्विन स्टेडियम, किंग्सवे, लाल किला तो कभी रामलीला मैदान में हुआ था न कि राजपथ पर।  

1950 से 1954 के बीच गणतंत्र दिवस का समारोह कभी इर्विन स्टेडियम, किंग्सवे, लाल किला तो कभी रामलीला मैदान में हुआ था न कि राजपथ पर।  

वर्ष 1950 से 1970 के दौरान गुट निरपेक्ष आंदोलन और पूर्वी ब्लॉक या कम्युनिस्ट ब्लॉक के सदस्य देशों के प्रतिनिधियों की मेजबानी करवाई गई तो शीत-युद्घ के पश्चात पश्चिम देशों को न्यौता दिया गया। 

2017 का गणतंत्र दिवस 26 जनवरी गुरूवार को मनाया जा रहा है। इस साल 2017 में भारत अपना 68वाँ गणतंत्र दिवस मना रहा है। भारत ने अपना पहला गणतंत्र दिवस 1950 में मनाया था।

गणतंत्र दिवस 2017 के मुख्य अतिथि

भारत के गणतंत्र दिवस, 2017 के, मुख्य अतिथि अबु धाबी के क्राउन प्रिंस शेख मोहमद बिन ज़ायेद अल नाह्यान है। भारत के 68वें गणतंत्र दिवस के ऐतिहासिक अवसर पर अबु धाबी के क्राउन प्रिंस को आमंत्रित किया गया था और उन्होंने इस आमंत्रण को स्वीकार किया।


गणतंत्र दिवस 2017 की निम्नलिखित विशेषताएं हैं:

गणतंत्र दिवस २०१७ पर अबु धाबी के क्राउन प्रिंस (शेख मोहमद बिन ज़ायेद अल नाह्यान) मुख्य अतिथि होंगे।यूएई (UAE) से अतिथि के सम्मान में, गणतंत्र दिवस परेड का स्थल, राजपथ, डेट पाम के पौधों से सजाया जायेगा। खजूर यूएई का राष्ट्र फल है जिसके उपलक्ष में हर साल यूएई, इंटरनेशनल डेट पाम फेस्टिवल, मनाता है।स्किल इंडिया (कौशल विकास) और बेटी बचाओ - बेटी पढ़ाओ, 68वाँ गणतंत्र दिवस झांकी के मुख्य बिषय हैं।इंडिया के नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (NSG) टीम के द्वारा पहली बार राजपथ पर कुछ आश्चर्यजनक प्रदर्शन दिखाया जायेगा जैसे की NSG एंथम (NSG anthem) गान (गुलज़ार के द्वारा लिखा गया), एंटी-हाईजैक टीम, एंटी-सेबोटेज टीम, कॉम्बैट फ्री-फॉलर्स, CBRNE टीम (केमिकल, बायोलॉजिकल, रेडियोलॉजिकल एंड नुक्लेअर डिफेंस टीम) और डीप डाइवर्स टीम के द्वारा प्रदर्शन।पहली बार राजपथ पर NSG वेहिकल (जिसका नाम है - Sherpa - बुलेट प्रूफ वेहिकल) का भी प्रदर्शन होगा। यह खुद एक कमांडो है जो की शक्तिशाली बिस्फोट को रोक सकता है और पानी के अंदर भी जा सकता है।

चूँकि भारत में स्वतंत्रता दिवस ब्रिटिश शासन से भारत की आजादी की खुशी के लिये मनाया जाता है, उसी तरह भारत में गणतंत्र दिवस को उसके अपने संविधान को लागू करने के लिये मनाया जाता है। अधिकारिक रुप से इसे भारत के राष्ट्रपति के समक्ष भारत की राजधानी नयी दिल्ली के राजपथ पर हर वर्ष मनाया जाता है। देश के राष्ट्रीय झंडे को फहराने के द्वारा राज्य के राज्यपाल की मौजूदगी में राज्य की राजधानी में एक छोटा उत्सव मनाया जाता है।

भारतीय सरकार द्वारा पूरे देश में राजपत्रित अवकाश के रुप में 26 जनवरी को घोषित किया गया था। स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय और दूसरे शैक्षणिक संस्थानों में विद्यार्थियों और शिक्षकों के द्वारा पूरे उत्साह के साथ पूरे भारत भर में इसे मनाया जाता है।

नयी दिल्ली में इंडिया गेट के सामने राजपथ पर सैनिकों के द्वारा एक उत्कृष्ट परेड और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

गणतंत्र दिवस कैसे मनाया जाता है।

राजधानी में गणतंत्र दिवस को मनाने के लिये पहले से ही भारतीय सरकार द्वारा अच्छे प्रयास के साथ कार्यक्रम और उत्सव आयोजित किया जाता है। राज्यों की राजधानी के साथ ही नयी दिल्ली के राजपथ पर एक बड़ा और भव्य परेड का आयोजन किया जाता है। परेड में पारंपरिक डाँस समूह, जल सेना, वायु सेना और थल सेना से प्रतिभागी भाग लेते हैं।

नयी दिल्ली में रखा गया परेड खासतौर से शुरुआत किया जाता है जब इंडिया गेट के अमर ज्योति जवान पर भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा पुष्पमाला भेंट की जाती है। अपने देश की रक्षा करते हुए भारतीय सेना के सैनिकों के सभी बलिदानों को याद करने के लिये ऐसा किया जाता है। राजधानी में परेड के दौरान भारतीय राष्ट्रपति द्वारा सेना की सलामी ली जाती है जबकि राज्यों में राज्यपाल द्वारा सेना की सलामी ली जाती है। इस खास अवसर पर, राज्य के प्रमुख राष्ट्रपति के मुख्य अतिथि बनते हैं।

सशस्त्र बलों के सैनिकों, आम जन, और स्कूलों के विद्यार्थियों को इस खास दिन पर राष्ट्रीय पुरस्कार (महावीर चक्र, अशोक चक्र, परम वीर चक्र, वीर चक्र) और बहादुरी मेडल भी वितरित किये जाते हैं। दर्शको पर गुलाब की पंखुड़ियों की बरसात के लिये इंडिया गेट के आसपास के क्षेत्रों में सेना बलों के हेलिकॉप्टर परेड करते हैं। स्कूलों के बच्चों के द्वारा देशभक्ति गीत पर डाँस परेड के द्वारा प्रस्तुति भी जाती है। राष्ट्रपति को सम्मानीय सलामी देने के लिये सैन्य बलों द्वारा मोटर साईकिलों पर करतब दिखाये जाते हैं जबकि फाईटर प्लेन (धुएँ द्वारा भारतीय झंडे तीन रंग बनाती है) द्वारा वायु सेना करतब दिखाती है।

देश के इतिहास और संस्कृति पर ध्यानाकर्षण करने के लिये विभिन्न राज्यों से पेशेवरों द्वारा विभिन्न पारंपरिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी जाती है। भव्य उत्सव के दौरान, 24 जनवरी से 29 जनवरी तक प्रधानमंत्री की एक रैली और लोक तरंग राष्ट्रीय फोक नृत्य उत्सव भी रखा जाता है।

इस दिन, पोस्ट ऑफिस और बैंक सहित देश के सभी सरकारी और गैर सरकारी कार्यालय बंद रहते हैं। बड़ी भीड़ के कारण इस दिन पर खास सुरक्षा व्यवस्था रहती है जो किसी भी समस्या से आमजन की रक्षा करती है।

गणतंत्र दिवस मनाने का इतिहास

वर्ष 1947 में 15 अगस्त को अंग्रेजी शासन से भारत को आजादी मिली थी। उस समय देश का कोई स्थायी संविधान नहीं था। पहली बार, वर्ष 1947 में 4 नवंबर को राष्ट्रीय सभा को ड्राफ्टिंग कमेटी के द्वारा भारतीय संविधान का पहला ड्राफ्ट प्रस्तुत किया गया था। वर्ष 1950 में 24 जनवरी को हिन्दी और अंग्रेजी में दो संस्करणों में राष्ट्रीय सभा द्वारा भारतीय संविधान का पहला ड्राफ्ट हस्ताक्षरित हुआ था।

तब 26 जनवरी 1950 अर्थात् गणतंत्र दिवस को भारतीय संविधान अस्तित्व में आया। तब से, भारत में गणतंत्र दिवस के रुप में 26 जनवरी मनाने की शुरुआत हुई थी। इस दिन भारत को पूर्णं स्वराज देश के रुप में घोषित किया गया था अत: पूर्णं स्वराज के वर्षगाँठ के रुप में हर वर्ष इसे मनाये जाने की शुरुआत हुई।

भारतीय संविधान ने भारत के नागरिकों को अपनी सरकार चुनने का अधिकार दिया। सरकारी हाऊस के दरबार हॉल में भारत के पहले राष्ट्रपति के रुप में डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद द्वारा शपथ लिया गया था। गणतंत्र दिवस मनाने के पीछे भारत के पास एक बड़ा इतिहास है।

26 जनवरी मनाने का महत्व

गणतंत्र दिवस स्वतंत्र भारत के लिये सच्चे साहस का प्रतीक है जहाँ सैन्य परेड, सैन्य सामानों की प्रदर्शनी, भारतीय राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय झंडे को सलामी और इस दिन विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन होता है। भारतीय झंडे में क्षैतिज दिशा में तीन रंग होते हैं (सबसे ऊपर केसरिया, मध्य में सफेद तथा अंत में हरा, सभी रंग बराबर अनुपात में होता है) और बीच में एक चक्र होता है (नीले रंग में 24 तिलियों के साथ) जो अशोका की राजधानी सारनाथ के शेर को दिखाता है।

भारत एक ऐसा देश है जहाँ विभिन्न संस्कृति, समाज, धर्म और भाषा के लोग सद्भावपूर्णं ढंग से एक साथ रहते हैं। भारत के लिये स्वतंत्रता बड़े गर्व की बात है क्योंकि विभिन्न मुश्किलों और बाधाओं को पार करने के वर्षों बाद ये प्राप्त हुई थी।

बहु-संस्कृति स्वतंत्र भारत में जीने के लिये भारतीय लोगों को गर्व महसूस कराने के लिये इस दिन को हर वर्ष मनाया जाता है। वर्ष के उत्सव को यादगार और महत्वपूर्णं बनाने के लिये गणतंत्र दिवस को बहुत ही रंग-बिरंगे और आनन्दपूर्णं तरीके से मनाते हैं। उत्सव में शामिल लोगों के द्वारा राष्ट्र-गान गाया जाता है। ये उत्सव सभी भारतीयों को एक स्थान पर ले आने का कार्य करता है।

भारतीय गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथियों की सूची

हर साल की तरह, मुख्य अतिथि के रुप में दूसरे देश के प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति को अपने गणतंत्र दिवस पर आमंत्रित करके उनका स्वागत के द्वारा “अतिथि देवो भव:” की महान भारतीय परंपरा और संस्कृति का अनुसरण भारत करता रहा है। इस वर्ष, 2016 के गणतंत्र दिवस पर, भारत ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर मुख्य अतिथि के रुप में फ्राँस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद का दिल से स्वागत किया है। यहाँ नीचे आपको भारत के पहले गणतंत्रता दिवस से लेकर 2016 तक के गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथियों की सूची उपलब्ध करायी जा रही है।

वर्ष मुख्य अतिथि देश
2017क्राउन प्रिंस, शेख मोहमद बिन ज़ायेद अल नाह्यान अबु धाबी
2016राष्ट्रपति, फ्रांस्वा ओलांद फ्राँस
2015 राष्ट्रपति, बराक ओबामा यूएसए
2014 प्रधानमंत्री, शिंजों आबे जापान
2013 राजा, जिग्मे केसर नामग्याल वाँगचुक भूटान
2012 प्रधानमंत्री, यिंगलुक शिनवात्रा थाईलैंड
2011 राष्ट्रपति, सुसीलो बमबंग युद्धोयुनो इंडोनेशिया
2010 राष्ट्रपति, ली म्यूंग बक कोरिया गणराज्य
2009 राष्ट्रपति, नूरसुलतान नजरबयेव कज़ाकिस्तान
2008 राष्ट्रपति, निकोलस सरकोजी फ्रांस
2007 राष्ट्रपति, व्लादिमीर पुतिन रुस
2006 राजा, अब्दुल्ला बिन अब्दुल्लाजिज़ अल-सऊद सऊदी अरेबिया
2005 राजा, जिग्मे सिंघे वाँगचुक भूटान
2004 राष्ट्पति, लूइज़ इनैसियो लूला दा सिल्वा ब्राजील
2003 राष्ट्पति, मोहम्मदम खतामी इरान
2002 राष्ट्पति, कसाम उतीम मॉरीशस
2001 राष्ट्पति, अब्देलाज़िज बुटेफ्लिका अलजीरीया
2000 राष्ट्पति, ओलूसेगुन ओबाझाँजो नाइजीरिया
1999 राजा बिरेन्द्र बीर बिक्रम शाह देव नेपाल
1998 राष्ट्रपति, जैक्स चिराक फ्रांस
1997 प्रधानमंत्री, बासदियो पांडेय त्रिनीनाद और टोबैगो
1996 राष्ट्रपति, डॉ फरनॉनडो हेनरिक कारडोसो ब्राजील
1995 राष्ट्रपति, नेल्सन मंडेला दक्षिण अफ्रिका
1994 प्रधानमंत्री, गोह चोक टोंग सिंगापुर
1993 प्रधानमंत्री, जॉन मेजर यूके
1992 राष्ट्रपति, मारियो सोर्स पुर्तगाल
1991 राष्ट्रपति, मौमून अब्दुल गयूम मालदीव
1990 प्रधानमंत्री, अनिरुद्ध जुगनौत मॉरीशस
1989 गुयेन वैन लिंह वियतनाम
1988 राष्ट्रपति, जुनियस जयवर्द्धने श्रीलंका
1987 राष्ट्रपति, ऐलेन गार्सिया पेरु
1986 प्रधानमंत्री, एँड्रियास पपनड्रीयु ग्रीस
1985 राष्ट्रपति, रॉल अलफोन्सिन अर्जेन्टीना
1984 राजा जिग्मे सिंघे वाँगचुक भूटान
1983 राष्ट्रपति, सेहु शगारी नाइजीरिया
1982 राजा, जॉन कार्लोस प्रथम स्पेन
1981 राष्ट्रपति, जोस लोपेज़ पोरेटील्लो मेक्सिको
1980 राष्ट्रपति, वलेरी गिस्कार्ड द इस्टेइंग फ्रांस
1979 प्रधानमंत्री, मलकोल्म फ्रेज़र ऑस्ट्रेलिया
1978 राष्ट्रपति, पैट्रीक हिलेरी ऑयरलौंड
1977 प्रथम सचिव, एडवर्ड गिरेक पौलैण्ड
1976 प्रधानमंत्री, जैक्स चिराक फ्रांस
1975 राष्ट्रपति, केनेथ कौंडा जांबिया
1974 राष्ट्रपति, जोसिप ब्रौज टीटो यूगोस्लाविया
प्रधानमंत्री, सिरीमावो रतवत्ते दियास बंदरनायके श्रीलंका
1973 राष्ट्रपति, मोबुतु सेस सीकोजैरे
1972 प्रधानमंत्री, सीवुसागर रामगुलाम मॉरीशस
1971 राष्ट्रपति, जुलियस नीयरेरे तंजानिया
1970-1969 प्रधानमंत्री, टोडर ज़िकोव बुल्गारिया
1968 प्रधानमंत्री, एलेक्सी कोज़ीगिन सोवियत यूनियन राष्ट्रपति, जोसिप ब्रोज टीटो यूगोस्लाविया
1967-1966-1965 खाद्य एवं कृषि मंत्री, राना अब्दुल हामिद पाकिस्तान
1964-1963 राजा, नोरोदम शिनौक कंबोडिया
1962-1961 रानी, एलिज़ाबेथ द्वितीय यूके
1960 राष्ट्रपति, क्लिमेंट वोरोशिलोव सोवियत संघ
1959-1958 मार्शल यि जियानयिंग चीन
1957-1956-1955 गर्वनर जनरल, मलिक गुलाम मोहम्मद पाकिस्तान
1954 राजा, जिग्मे दोरजी वाँगचुक भूटान
1953-1952-1951-1950 राष्ट्रपति, सुकर्नोंइंडोनेशिया

गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) परेड

जाड़े के उत्सव संबंधी ड्रेस पहने, राष्ट्रपति आवास से बाहर आते हुए राष्ट्रपति के अंग-रक्षकों द्वारा राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड की ये वास्तविक तस्वीर है। घुड़सवार रेजीमेंट में से एक खास चुनी हुयी भारतीय सेना की सबसे वरिष्ठ ईकाई भारत के राष्ट्रपति के अंगरक्षक बनते है। भारत के राष्ट्रपति की सुरक्षा और राह दिखाने के लिये उनके अंग-रक्षक पूरी तरह जिम्मेदार होते हैं। वो पूरी तरह हथियारों, बीटीआर-60 गाड़ियाँ से लैस होते हैं जो किसी भी परिस्थिति में इस्तेमाल किये जा सकते हैं साथ ही घोड़ें भी चलाते हैं।


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