आधुनिक जीवनशैली और खान-पान में बदलाव के कारण लोगों में बीमारियां तेजी से फैल रही हैं। ऐलोपैथी दवाओं से जहां इलाज तुरंत संभव हो जाता है, वहीं इसके साइड इफेक्ट भी हैं। ऐसे में आयुर्वेद की अहमियत और बढ़ गई है। आयुर्वेद में स्वस्थ रहने के लिए जिन चीजों के सेवन का सुझाव दिया जाता है, शहद भी उनमें से एक है। शहद के अंदर कई गुण पाए जाते हैं। यह आपको स्वस्थ रखने के साथ-साथ आपके शरीर में रोगरोधी शक्ति भी पैदा करता है। आइये आज जानते हैं, शहद से क्या-क्या फायदे होते हैं...
रोगरोधी क्षमता: शहद में रोगरोधी क्षमता बढ़ाने के गुण पाए जाते हैं। इसके नियमित सेवन से आपका शरीर कई बीमारियों से लड़ने में सक्षम हो जाता है।
अच्छा ऐंटि-ऑक्सिडेंट: शहद अपने औषधीय और स्वास्थ्य संबंधित गुणों के लिये सैकड़ों सालों से मशहूर है। इसमें हाइ फेनोलिक एवं फ्लैवेनॉयड कॉटेंट के साथ विभिन्न प्रकार के फाइटोकेमिकल्स मौजूद होते हैं, जो इसकी उच्च ऐंटि-ऑक्सिडेंट ऐक्टिविटी को बढ़ाते हैं। शहद में ऐंटी-ऑक्सिडेंट गुण होता है, जिसमें फ्री रेडिकल्स के विकास को रोकने का सामर्थ्य है।
पाचन के लिये बेहतर: शहद पाचन के लिए अच्छा होता है और यह एक प्रीबायॉटिक के रूप में काम करता है।
कफ और गले में इन्फेक्शन: शहद कफ और गले में इन्फेक्शन को कम करने का काम करता है।
घाव भरने में कारगर: शहद जलन को कम करता है और दाग को कम कर घाव का जल्दी उपचार करने में मदद करता है।
शहद याददाश्त तेज करता है, कमजोर तंत्रिका तंत्र को ठीक करता है. शहद कामशक्ति वर्धक माना गया है ,इसका सेवन पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन और महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन बनाने के प्रक्रिया को तेज करता है.
शहद में कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटैशियम, सोडियम और जिंक आदि खनिज तत्व पाए जाते है.
“मनुका” शहद दुनिया का सबसे अच्छा शहद माना जाता है, ऐसा इस शहद में पाए जाने वाले खास एंटी-बैक्टिरियल गुणों की वजह से है.
यह शहद ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड में पाया जाता है. शहद का नियमित सेवन खोई हुई शक्ति वापस लौटाता है, और शरीर को सुन्दर, स्फूर्तिवान, बलवान, दीर्घजीवी और सुडौल बनाता है. चूँकि शहद एक हाइपरस्मोटिक एजेंट है इसलिए इसे घाव पर लगाने से यह घाव का तरल निकाल देता है, उस स्थान से बैक्टीरिया नष्ट करके शीघ्र भरपाई करता है शहद सीधे लगाने की बजाय इसे पट्टी या रुई पर लगाकर फिर घाव पर लगायें. टाइफाइड, निमोनिया में शहद सेवन लीवर और आंतों की कार्यक्षमता बढाता है. पेशाब के इन्फेक्शन में दालचीनी चूर्ण ,शहद को गुनगुने पानी में मिलाकर पीने से बैक्टीरिया दूर होते हैं और आराम मिलता है.
स्वास्थ्य संबंधित गुणों के कारण शहद अधिक लोकप्रिय हो गया है। बाजार में शहद के कई ब्रैंड मौजूद है, जो सबसे अधिक शुद्ध होने का दावा करते हैं। लेकिन इनमें स्वीकार्य सीमा से अधिक कई हानिकारक ऐंटिबायॉटिक्स हो सकते हैं, और साथ ही इसमें शक्कर भी मिला हो सकता है। ऐसे में शहद की परख जरूरी हो जाती है। यहां हम आपको बता रहे हैं कि कैसे आप असली और नकली शहद में फर्क कर पाएंगे।
गाढ़ेपन की जांच: वैज्ञानिक रूप से यह प्रमाणित हो चुका है कि शुद्ध शहद काफी गाढ़ा और चिपचिपा होता है।
जल परीक्षण: पानी में एक चम्मच शहद डालें। यदि यह तली में जाकर बैठ जाता है, तो यह शुद्ध है। यदि यह फौरन घुल जाता है, तो इसमें अतिरिक्त नमी है यानी कि यह अच्छी क्वॉलिटी का नहीं है।
क्रिस्टलीकरण परीक्षण: शुद्ध शहद के क्रिस्टलीकरण में ज्यादा वक्त लगता है। आमतौर पर रेफ्रिजरेटर में रखे जाने पर यह 4 सप्ताह में दानेदार बन जाता है।
रोगरोधी क्षमता: शहद में रोगरोधी क्षमता बढ़ाने के गुण पाए जाते हैं। इसके नियमित सेवन से आपका शरीर कई बीमारियों से लड़ने में सक्षम हो जाता है।
अच्छा ऐंटि-ऑक्सिडेंट: शहद अपने औषधीय और स्वास्थ्य संबंधित गुणों के लिये सैकड़ों सालों से मशहूर है। इसमें हाइ फेनोलिक एवं फ्लैवेनॉयड कॉटेंट के साथ विभिन्न प्रकार के फाइटोकेमिकल्स मौजूद होते हैं, जो इसकी उच्च ऐंटि-ऑक्सिडेंट ऐक्टिविटी को बढ़ाते हैं। शहद में ऐंटी-ऑक्सिडेंट गुण होता है, जिसमें फ्री रेडिकल्स के विकास को रोकने का सामर्थ्य है।
पाचन के लिये बेहतर: शहद पाचन के लिए अच्छा होता है और यह एक प्रीबायॉटिक के रूप में काम करता है।
कफ और गले में इन्फेक्शन: शहद कफ और गले में इन्फेक्शन को कम करने का काम करता है।
घाव भरने में कारगर: शहद जलन को कम करता है और दाग को कम कर घाव का जल्दी उपचार करने में मदद करता है।
शहद याददाश्त तेज करता है, कमजोर तंत्रिका तंत्र को ठीक करता है. शहद कामशक्ति वर्धक माना गया है ,इसका सेवन पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन और महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन बनाने के प्रक्रिया को तेज करता है.
शहद में कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटैशियम, सोडियम और जिंक आदि खनिज तत्व पाए जाते है.
“मनुका” शहद दुनिया का सबसे अच्छा शहद माना जाता है, ऐसा इस शहद में पाए जाने वाले खास एंटी-बैक्टिरियल गुणों की वजह से है.
यह शहद ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड में पाया जाता है. शहद का नियमित सेवन खोई हुई शक्ति वापस लौटाता है, और शरीर को सुन्दर, स्फूर्तिवान, बलवान, दीर्घजीवी और सुडौल बनाता है. चूँकि शहद एक हाइपरस्मोटिक एजेंट है इसलिए इसे घाव पर लगाने से यह घाव का तरल निकाल देता है, उस स्थान से बैक्टीरिया नष्ट करके शीघ्र भरपाई करता है शहद सीधे लगाने की बजाय इसे पट्टी या रुई पर लगाकर फिर घाव पर लगायें. टाइफाइड, निमोनिया में शहद सेवन लीवर और आंतों की कार्यक्षमता बढाता है. पेशाब के इन्फेक्शन में दालचीनी चूर्ण ,शहद को गुनगुने पानी में मिलाकर पीने से बैक्टीरिया दूर होते हैं और आराम मिलता है.
स्वास्थ्य संबंधित गुणों के कारण शहद अधिक लोकप्रिय हो गया है। बाजार में शहद के कई ब्रैंड मौजूद है, जो सबसे अधिक शुद्ध होने का दावा करते हैं। लेकिन इनमें स्वीकार्य सीमा से अधिक कई हानिकारक ऐंटिबायॉटिक्स हो सकते हैं, और साथ ही इसमें शक्कर भी मिला हो सकता है। ऐसे में शहद की परख जरूरी हो जाती है। यहां हम आपको बता रहे हैं कि कैसे आप असली और नकली शहद में फर्क कर पाएंगे।
गाढ़ेपन की जांच: वैज्ञानिक रूप से यह प्रमाणित हो चुका है कि शुद्ध शहद काफी गाढ़ा और चिपचिपा होता है।
जल परीक्षण: पानी में एक चम्मच शहद डालें। यदि यह तली में जाकर बैठ जाता है, तो यह शुद्ध है। यदि यह फौरन घुल जाता है, तो इसमें अतिरिक्त नमी है यानी कि यह अच्छी क्वॉलिटी का नहीं है।
क्रिस्टलीकरण परीक्षण: शुद्ध शहद के क्रिस्टलीकरण में ज्यादा वक्त लगता है। आमतौर पर रेफ्रिजरेटर में रखे जाने पर यह 4 सप्ताह में दानेदार बन जाता है।