"आप में बुद्धि होगी तो आप सच्चाई का पता लगा लेंगे।"
ये बात एक ठग ने पुलिस वालों को कही थी. जब वो उनकी गिऱफ्त में था. एक ऐसा ठग जिसने वेश्याओं तक को नहीं छोड़ा. वो हर रोज वेश्याओं के पास जाता और उनको जहरीली शराब पिलाकर उनके पैसे और गहने लूट लेता था. एक पढ़ा-लिखा इंसान, जिसने वकालत की पढ़ाई करने के बाद ठगी को अपना पेशा बनाया. 8 राज्यों में 100 से ज्यादा मामलों में पुलिस इस ठग को ढूंढ रही थी. 8 बार वो अलग-अलग जेलों से फरार हो चुका था. एक ऐसा ठग जिसने ठगी के लिए राजीव गांधी से लेकर राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के नाम तक का इस्तेमाल किया. मिथिलेश कुमार उर्फ मिस्टर नटवरलाल.
औसत क्षात्र से नटवरलाल बनने की कहानी
मिथिलेश कुमार से नटवर लाल बनने की दो अलग कहानियां हैं. पहल कहानी के मुताबिक बिहार के सीवान जिले के बंगरा गांव का रहनेवाला मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव, धनी जमींदार रघुनाथ प्रसाद का बड़ा बेटा था. मिथिलेश पढ़ने में एक औसत छात्र था. पढ़ाई के बजाय फुटबॉल और शतरंज में उसकी रूचि ज्यादा थी. कहते हैं कि मैट्रिक के परीक्षा में फेल होने पर मिथिलेश को उसके पिता ने बहुता मारा. जिसके बाद वो कलकत्ता भाग गया. उस समय उसकी जेब में सिर्फ पांच रुपए थे. कलकत्ता में मिथिलेश ने बिजली के खंभे के नीचे पढ़ाई की. बाद में सेठ केशवराम नाम के एक बंदे ने मिथिलेश को अपने बेटे को पढ़ाने के लिए रख लिया. मिथिलेश ने सेठ से अपनी स्नातक की पढ़ाई के लिए पैसे उधार मांगे, जिसे सेठ ने देने से इनकार कर दिया. सेठ के इनकार करने से मिथिलेश इतना चिढ़ गया कि उसने रुई की गांठ खरीदने के नाम पर सेठ से 4.5 लाख ठग लिया.
दूसरी कहानी ये कहती है कि एक बार मिथिलेश को उनके पड़ोसी सहाय ने बैंक ड्राफ्ट जमा करने के लिए भेजा. वहां जाकर मिथिलेश ने सहाय के हस्ताक्षर को हूबहू कॉपी किया. उस समय मिथिलेश को पहली बार लगा कि वो जालसाजी का काम कर सकता है. उस दिन के बाद से मिथिलेश कुछ दिनों तक अपने पड़ोसी के खाते से पैसे निकालता रहा. जब मिथिलेश के पड़ोसी को इस बात की भनक लगी, तब तक मिथिलेश अकाउंट से 1000 रुपए निकाल चुका था. पता चलने के बाद मिथिलेश कलकत्ता चला गया और वहां जाकर कॉमर्स से ग्रेजुएशन किया. साथ ही शेयर बाजार में दलाली का काम करने लागा.
ये बात एक ठग ने पुलिस वालों को कही थी. जब वो उनकी गिऱफ्त में था. एक ऐसा ठग जिसने वेश्याओं तक को नहीं छोड़ा. वो हर रोज वेश्याओं के पास जाता और उनको जहरीली शराब पिलाकर उनके पैसे और गहने लूट लेता था. एक पढ़ा-लिखा इंसान, जिसने वकालत की पढ़ाई करने के बाद ठगी को अपना पेशा बनाया. 8 राज्यों में 100 से ज्यादा मामलों में पुलिस इस ठग को ढूंढ रही थी. 8 बार वो अलग-अलग जेलों से फरार हो चुका था. एक ऐसा ठग जिसने ठगी के लिए राजीव गांधी से लेकर राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के नाम तक का इस्तेमाल किया. मिथिलेश कुमार उर्फ मिस्टर नटवरलाल.
औसत क्षात्र से नटवरलाल बनने की कहानी
मिथिलेश कुमार से नटवर लाल बनने की दो अलग कहानियां हैं. पहल कहानी के मुताबिक बिहार के सीवान जिले के बंगरा गांव का रहनेवाला मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव, धनी जमींदार रघुनाथ प्रसाद का बड़ा बेटा था. मिथिलेश पढ़ने में एक औसत छात्र था. पढ़ाई के बजाय फुटबॉल और शतरंज में उसकी रूचि ज्यादा थी. कहते हैं कि मैट्रिक के परीक्षा में फेल होने पर मिथिलेश को उसके पिता ने बहुता मारा. जिसके बाद वो कलकत्ता भाग गया. उस समय उसकी जेब में सिर्फ पांच रुपए थे. कलकत्ता में मिथिलेश ने बिजली के खंभे के नीचे पढ़ाई की. बाद में सेठ केशवराम नाम के एक बंदे ने मिथिलेश को अपने बेटे को पढ़ाने के लिए रख लिया. मिथिलेश ने सेठ से अपनी स्नातक की पढ़ाई के लिए पैसे उधार मांगे, जिसे सेठ ने देने से इनकार कर दिया. सेठ के इनकार करने से मिथिलेश इतना चिढ़ गया कि उसने रुई की गांठ खरीदने के नाम पर सेठ से 4.5 लाख ठग लिया.
दूसरी कहानी ये कहती है कि एक बार मिथिलेश को उनके पड़ोसी सहाय ने बैंक ड्राफ्ट जमा करने के लिए भेजा. वहां जाकर मिथिलेश ने सहाय के हस्ताक्षर को हूबहू कॉपी किया. उस समय मिथिलेश को पहली बार लगा कि वो जालसाजी का काम कर सकता है. उस दिन के बाद से मिथिलेश कुछ दिनों तक अपने पड़ोसी के खाते से पैसे निकालता रहा. जब मिथिलेश के पड़ोसी को इस बात की भनक लगी, तब तक मिथिलेश अकाउंट से 1000 रुपए निकाल चुका था. पता चलने के बाद मिथिलेश कलकत्ता चला गया और वहां जाकर कॉमर्स से ग्रेजुएशन किया. साथ ही शेयर बाजार में दलाली का काम करने लागा.
बड़े-बड़े नेताओं के नाम पर जब नटवर लाल ने लोगों को ठगा
दिल्ली का कनाट प्लेस. सुरेंद्र शर्मा की घड़ी की दुकान. सफेद कमीज और पैंट पहने एक बूढ़ा आदमी घड़ी की दुकान में जाता है. और खुद का परिचय वित्तमंत्री नारायण दत्त तिवारी का पर्सनल स्टाफ डी.एन. तिवारी रूप में देता है. और दुकानदार से कहता है कि प्रधानमंत्री राजीव गांधी के दिन अच्छे नहीं चल रहे हैं, इसलिए उन्होंने पार्टी के सभी वरिष्ठ लोगों को समर्थन के लिए दिल्ली बुलाया है. और इस बैठक में शामिल होने वाले सभी लोगों को वो घड़ी भेंट करना चाहते हैं. तो मुझे आपकी दुकान से 93 घड़ी चाहिए. दुकानदार को पहले तो इस आदमी की बातों पर शक हुआ लेकिन एक साथ इतनी घड़ियों को बेचने के लालच से खुद को रोक नहीं पाया.
अगले दिन वो बूढ़ा आदमी घड़ी लेने दुकान पहुंचा. दुकानदार को घड़ी पैक करने की बात कह एक स्टाफ को अपने साथ नॉर्थ ब्लॉक (नॉर्थ ब्लॉक वो जगह है, जहां प्रधानमंत्री से लेकर बड़े-बड़े अफसरों का ऑफिस होता है) ले गया. वहां उसने स्टाफ को भुगतान के तौर पर 32,829 रुपए का बैंक ड्राफ्ट दे दिया. दो दिन बाद जब दुाकनदार ने ड्राफ्ट जमा किया तो बैंक वालों ने बताया कि वो ड्राफ्ट फर्जी है. फिर दुकानदार को समझ आया कि वो बूढ़ा आदमी नटवर लाल था. और इसके बाद वित्तमंंत्री वीपी सिंह तो कभी वाराणसी के जिला जज का नाम तो कभी यूपी के सीएम के नाम पर नटवर लाल अलग-अलग शहर में दुकानदारों का चूना लगाता रहा.
देश के बड़े-बड़े ऐतिहासिक धरोहरों तक को बेच डाला:
ठगी में नटवर लाल इतने शातिर था कि उसने 3 बार ताजमहल, दो बार लाल किला, एक बार राष्ट्रपति भवन और एक बार संसद भवन तक को बेच दिया था. राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के फर्जी साइन करके नटवर लाल ने संसद को बेच दिया था. जिसे समय संसद को बेचा था, उस समय सारे सांसद वहीं मौजूद थे. कहते हैं कि नटवर लाल के 52 नाम थे, उनमें से एक नाम नटवर लाल था. सरकारी कर्मचारी का भेष धरकर नटवर लाल ने विदेशियों को ये सारे स्मारक बेचे थे. इनकी ठगी पर ‘मिस्टर नटवर लाल’ फिल्म भी बन चुकी है. जिसमें अमिताभ बच्चन ने इनका रोल निभाया है.
दुनिया वालों के लिए ठग लेकिन अपने गांवों वालों के लिए रॉबिनहुड:
ठगी से ढेरों पैसे कमाने के बाद एक बार नटवर लाल तीन कार के काफिलों के साथ अपने गांव बंगरा गया. गांव वालों के मुताबिक नटवर लाल पूरे रईस अंदाज में गांव पहुंचा था. उसने जो इत्र लगा रखा था उसकी खुशबू मीलों तक फैली थी. नटवर लाल ने गांव में शामियाना लगवाया, गांव वालों के लिए बढ़िया खाने का इंतजाम किया. और इस भोज के बाद उसने गांव के हर गरीब आदमी को 100 रुपए दिए. गांव के लोग नटवर लाल के ठगी पर कभी शर्मिंदा नहीं हुए. उनके हिसाब से नटवर लाल ने उन लोगों को शर्मिंदा करने वाला कोई भी काम नहीं किया है. वो तो बस भ्रष्ट अमीरों को लूटता था और गरीबों की मदद करता था.
कोर्ट ने 100 साल से ज्यादा की सजा सुनाई थी:
पचास और साठ के दशक में नटवरलाल ने देश के बड़े-बड़े जौहरियों, साहूकारों और व्यपारियों को ठगा था. 8 राज्यों में 100 से अधिक मामलों में नटवरलाल का नाम ‘मोस्ट वांटेड’ की सूची में था. पुलिस ने 9 बार नटवरलाल को गिरफ्तार किया था, जिसमें से 8 बार वो पुलिस वालों को चकमा दे फरार हुआ थे. सिंहभूम की अदालत ने नटवरलाल को 19 साल, दरभंगा की अदालत ने 17 साल की कैद और 2 लाख का जुर्माना और पटना के एक जज ने 5 साल की सजा सुनाई थी. सिर्फ बिहार में नटवरलाल को 100 साल से ज्यादा की सजा सुनाई गई थी. अपने जीवन के 20 साल नटवरलाल ने जेल में बिताया है. 2009 में नटवरलाल के वकील ने उसके खिलाफ दर्ज 100 मामलों को हटाने की याचिका दायर की थी. उस याचिका के हिसाब से नटवरलाल की मौत 25 जुलाई 2009 को हो चुकी थी.
सिर्फ शातिर ही नहीं हाजिर-जवाबी और साहस का मिश्रण था नटवरलाल
1987 में जब नटवरलाल को पुलिस ने वाराणसी से गिरफ्तार किया तो इंडिया टुडे के रिपोर्टर ने नटवर लाल से 2 घंटे तक बातचीत की थी. और उस समय ने रिपोर्टर के सवालों का नटवरलाल ने जो जवाब दिया, वो उसकी हिम्मत को दर्शाता है.
आप इस बार पकड़े कैसे गए?
मुझे अपनी बुद्धि पर इतना भरोसा है कि मुझे कोई नहीं पकड़ सकता है. यह तो परमपिता परमेश्वर की मर्जी है. मैं नहीं जानता उसने मेरे भाग्य में क्या लिखा है.
आप भगवान में भरोसा करते हैं?
निश्चित ही. जब भी मैं मुश्किल में पड़ता हूं, बिल्कुल खामोश हो जाता हूं और परमश्वेर की प्रार्थना करता हूं. वह मेरे सामने प्रकट हो जाते हैं और फिर मेरी सारी समस्या दूर हो जाती हैं.
जिस आदमी ने कईयों को ठगा हो वह भगवान में इस तरह भरोसा जताए, क्या यह कुछ अटपटा नहीं है?
नहीं-नहीं किसने कहा कि मैंने ठगी की है? मैंने लोगों को कभी डराया-धमकाया नहीं है कि मुझे पैसे दो. लोगों ने तो हाथ जोड़कर मुझे पैसे दिए कि ‘श्रीमान’ पैसे ले लीजिए और मैंने ले लिए. इसमें अपराध क्या है? परमपिता इन कानूनों को नहीं बनाता है. कानून तो हम ही बनाता है और बदलते हैं.
आप जेल से इतनी बार भागने में सफल कैसे रहे?
मैं कभी नहीं भागा. वे मुझे ले जाते दरवाजा खोलते और जाने देते.
क्या आपने अपनी कहानी पर बनी फिल्म ‘मिस्टर नटरवर लाल’ देखी है?
नहीं, जब मैं खुद ही असली हीरो हूं तो नकली हीरो को क्यों देखूं? जब मुझे इस फिल्म के बारे में पता चला तो मैंने इसके निर्देशक और निर्माता पर मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया था.