अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस की शुरुआत 1999 में त्रिनिदाद एवम टोबैको से हुयी थी।
तब से प्रत्येक वर्ष 19 नवम्बर को ”अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस” दुनिया के 30 से अधिक देशों में मनाया जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी इसे मान्यता देते हुए इसकी आवश्यकता को बल दिया और पुरजोर सराहना एवं सहायता दी है।
भारत में यह दिन सर्वप्रथम 19 नवंबर 2007 को मनाया गया था।
पुरुष अपने समुदाय के लिए और अपने देश के लिए, अपने दोस्तों के लिए और अपने परिवारों के लिए, पति, बेटे और पिता के रूप में, अपनी अनेक भूमिका में प्रत्येक दिन बलिदान करते हैं। अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस समाज में पुरुषों द्वारा किये जा रहे त्याग व बलिदान की सराहना का दिवस है।
अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस का उद्देश्य, लिंग संबंधों में सुधार, लैंगिक समानता को बढ़ावा देने, और सकारात्मक पुरुष मॉडल की भूमिका पर प्रकाश डालना है। पुरुषों और लड़कों के स्वास्थ्य पर ध्यान देना इसमें शामिल है। इस दिवस का उद्देश्य पुरुषों के खिलाफ भेदभाव पर प्रकाश डालना है।
क्यो ज़रूरी है Men’s Day-
'पुरुष प्रधान समाज' या पैट्रीआर्की जैसे शब्दों का इस्तेमाल करके हमारे देश में पुरुषों को काफी कोसा जाता है. रूढ़ीवादी और दकियानूसी सोच सिर्फ पुरुषों की नहीं होती, महिलाओं की भागीदारी भी बराबर की है. हम जेंडर इक्वेलिटी की बात करते हैं पर क्यों भूल जाते हैं कि पुरुषों से जुड़े मामले और उनकी परेशानियां भी उतनी ही गंभीर होती हैं. सिर्फ महिलाएं नहीं हैं जो हमेशा प्रताड़ित होती या की जाती हैं, ऐसे पुरुषों की संख्या भले ही कम हो, लेकिन प्रताड़ित वो भी कम नहीं किए जाते, मेंटली भी, फिजीकली भी और सैक्सुअली भी. सिर्फ महिलाएं ही नहीं हैं जो घर और रिश्ते निभाने की जिम्मेदारी उठाती हैं. घर चलाने और घरवालों को खुश रखने के लिए पुरुष भी उतनी ही मेहनत करते हैं. एडजस्टमेंट अगर महिलाएं करती हैं तो पुरुष भी जिम्मेदारी के नाम पर अपनी इच्छाओं को अकसर मार दिया करते हैं. महिलाएं फिर भी रो गाकर अपनी कह लेती हैं, ‘Real men don't cry’ कहकर ये अधिकार भी उनसे छीन लिया गया है. दर्द का अहसास उन्हें भी बराबर होता है. तो अगर बात बराबरी है, तो जिस तरह महिलाओं को ये समाज उनके खास दिन पर स्पेशल बताता है, प्रेरित करने वाले मैसेज भेजकर उनके हौसले बढ़ाता है, तो पुरुषों को भी वैसे ही हौसले और स्नेह की जरूरत है.
पुरुषों से जुड़ी 15 रोचक बातें:
दिन में 2 हजार शब्द
महिलाएं दिन में 7,000 शब्द बोलती हैं, तो पुरुष औसतन 2,000 शब्द।
रास्ता पूछते रहते हैं
पुरुष अपने जीवन के 3 महीने केवल रास्ता पूछने में लगाते हैं।
काले बटन ज्यादा पसंद
पुरुषों को काले बटन वाले गैजेट ज्यादा पसंद होते हैं।
महिलाओं को घूरने में 1 साल
पुरुष अपने जीवन में एक साल महिलाओं को घूरने में बिता देते हैं।
लैपटॉप से रहें सावधान
अगर आप पुरुष हैं तो लैपटॉप जांघ पर मत रखें, नपुंसकता के शिकार हो सकते हैं।
दिन में 6 बार झूठ
पुरुष दिन में औसतन 6 बार झूठ बोलते हैं, महिलाएं 3 बार।
6 महीने केवल शेविंग
पुरुष अपने जीवन के 6 महीने केवल शेविंग करने में गुजार देते हैं।
फैट कम होता है
महिलाओं की तुलना में वयस्क पुरुषों में 50 फीसदी कम फैट होता है।
मसल्स ज्यादा होती हैं
महिलाओं की तुलना में वयस्क पुरुषों की मसल्स 50 प्रतिशत अधिक होती हैं।
5 महिलाओं की ओर आकर्षण
एक दिन में औसतन 5 मतहिलाओं को देख पुरुष मन ही मन कुछ अलग सोचते हैं।
डेटिंग और शादी में फर्क
पुरुष डेटिंग किसी के भी साथ कर लेंगे, लेकिन शादी वर्जिन से ही करना पसंद करते हैं।
गर्म होते हैं पुरुष
पुरुषों के शरीर का तापमान महिलाओं के शरीर के तापमान से अधिक होता है।
भुलक्कड़ होते हैं पुरुष
85 प्रतिशत पुरुष भुलक्कड़ होते हैं, जो दिन में कम से कम तीन चीजें भूलते हैं।
ये जानना भी ज़रूरी
1. सेव इंडिया फैमिली फाउंडेशन के अनुसार भारत में आत्महत्या के मामलों में पुरुषों की संख्या महिलाओं से दुगनी है. NCRB के आंकड़े भी यही बताते हैं कि शादीशुदा महिलाओं की तुलना में शादीशुदा पुरुष ज्यादा आत्महत्या करते हैं. सच्चाई ये भी है कि शादीशुदा महिला द्वारा आत्महत्या किए जाने पर बिना किसी जांच पड़ताल के तुरंत पति और उसके घरवालों को हिरासत में ले लिया जाता है, जबकि पुरुष भले ही सुसाइड नोट में लिख दे कि सुसाइड की वजह पत्नी है, फिर भी इस बात पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता.
2. आईपीसी की धारा-497 के तहत जो व्यक्ति अपनी पत्नी के अलावा किसी अन्य विवाहित महिला से शारीरिक संबंध बनाता है तो उसे सजा मिलती है लेकिन अवैध संबंधों के लिए महिला को सजा नहीं दी जाती.
3. घरेलू हिंसा और दहेज प्रताड़ना के खिलाफ बनाए कानून का फायदा जितना महिलाओं को मिला उससे कहीं ज्यादा फायदा महिलाओं ने इसका दुरुपयोग करके उठाया है. पत्नियों द्दारा प्रताड़ित किए गए पुरुषों के कई संघ बन रहे हैं. और इनकी बढ़ती हुई संख्या ही इस बात का सुबूत है
4. NCRB के आंकड़े भी बताते हैं कि अपहरण, जबरन शादी और यौन शोषण के मामलों में प्रताड़ित पुरुषों की संख्या भी कम नहीं है.
तो भले ही ये पुरुष इंपॉर्टेंट डेट्स भूल जाते हों लेकिन अपनी जिंदगी में हमें इनकी इंपॉर्टेंस हमेशा याद रखनी चाहिए