आखिर ये अर्थ ऑवर है क्या? चलिए हम बताते हैं इस सवाल का जवाब।
धरा को साफ-स्वच्छ व हरा-भरा रखने और ऊर्जा बचत के
लिए आज रात 8.30 से 9.30 बजे तक पुरी दुनिया में लोग
बिजली बंद रखेंगे ।
अर्थ आवर के आयोजकों का कहना है कि इस बार पूरी दुनिया में
रिकॉर्ड 147 देश धरती को बचाने के इस अभियान में शामिल
होंगे। 5411 शहरों और कस्बों में बिजली बंद रखी जाएगी। वर्ष
2011 में 135 देश और 5251 शहरों व कस्बों ने इसमें भागीदारी की
थी।
धरा को साफ-स्वच्छ व हरा-भरा रखने और ऊर्जा बचत के
लिए आज रात 8.30 से 9.30 बजे तक पुरी दुनिया में लोग
बिजली बंद रखेंगे ।
अर्थ आवर के आयोजकों का कहना है कि इस बार पूरी दुनिया में
रिकॉर्ड 147 देश धरती को बचाने के इस अभियान में शामिल
होंगे। 5411 शहरों और कस्बों में बिजली बंद रखी जाएगी। वर्ष
2011 में 135 देश और 5251 शहरों व कस्बों ने इसमें भागीदारी की
थी।
अंतरिक्ष में भी अंधेरा :
इस साल अर्थ आवर के दौरान, अंतरिक्ष में भी अंधेरा रहेगा।
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पहली बार इसमें भागीदारी करेगा।
गद्दाफी युग की समाप्ति के बाद लीबिया के लोग भी
पहली बार एक घंटे के लिए बिजली बंद करेंगे।
इस साल अर्थ आवर के दौरान, अंतरिक्ष में भी अंधेरा रहेगा।
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पहली बार इसमें भागीदारी करेगा।
गद्दाफी युग की समाप्ति के बाद लीबिया के लोग भी
पहली बार एक घंटे के लिए बिजली बंद करेंगे।
सिडनी से शुरुआत :
अर्थ आवर की शुरुआत वर्ष 2007 में सिडनी से हुई थी। शुरुआत में
इसका उद्देश्य सिर्फ बिजली बचाना था लेकिन बाद में पर्यावरण
सुरक्षा और जागरुकता भी इससे जुड़ गए।
अर्थ आवर की शुरुआत वर्ष 2007 में सिडनी से हुई थी। शुरुआत में
इसका उद्देश्य सिर्फ बिजली बचाना था लेकिन बाद में पर्यावरण
सुरक्षा और जागरुकता भी इससे जुड़ गए।
-अर्थ आवर WWF का एक अभियान है जिसका मकसद लोगों को बिजली के महत्व के प्रति और पर्यावरण सुरक्षा के प्रति जागरुक करना है।
-इसका मुख्यालय सिंगापुर में है। 2007 में इसे तब पहचान मिली जब इसने सिडनी में पर्यावरण सुरक्षा का संदेश देने के लिए एक घंटे लाइटें बंद कराई थीं।
-इसके बाद तो करीब 162 देशों तक लाइटें बंद करने का ये अभियान फैलता चला गया।
-2016 में 19 मार्च की आज रात 8.30 से 9.30 बजे तक पुरी दुनिया में लोग बिजली बंद रखेंगे और जनता को जागरुक किया जाएगा।
-अर्थ आवर के आयोजकों का कहना है कि इस बार पूरी दुनिया में रिकॉर्ड 147 देश धरती को बचाने के इस अभियान में शामिल होंगे। 5411 शहरों और कस्बों में बिजली बंद रखी जाएगी।
- साल 2011 में 135 देश और 5251 शहरों व कस्बों ने इसमें भागीदारी की थी।
WWF के बारे में
WWF एक संस्था है जिके बारे में कहा जाता है कि ये दुनिया की सबसे बड़ी इंडिपेंडेंट कंन्जरवेशन ऑर्गेनाइजेशन है। 100 से अधिक देशों में 5 मिलियन से अधिक लोग इस संस्था को स्पोर्ट करते हैं। संस्था के मुताबिक इसका उद्देश्य प्रकृति के नुकसान को रोकना और मानव भविष्य को बेहतर बनाना है।
WWF एक संस्था है जिके बारे में कहा जाता है कि ये दुनिया की सबसे बड़ी इंडिपेंडेंट कंन्जरवेशन ऑर्गेनाइजेशन है। 100 से अधिक देशों में 5 मिलियन से अधिक लोग इस संस्था को स्पोर्ट करते हैं। संस्था के मुताबिक इसका उद्देश्य प्रकृति के नुकसान को रोकना और मानव भविष्य को बेहतर बनाना है।
इस तरह भारत बचा रहा है बिजली
कुछ वक्त पहले तक भारत में एडिसन बल्ब जिन्हें कुछ इलाकों में लट्टू बल्ब भी कहा जाता है का ही इस्तेमाल किए जाते थे जो तकरीबन पीली रोशनी देते थे और बहुत बिजली खाते थे।
कुछ वक्त पहले तक भारत में एडिसन बल्ब जिन्हें कुछ इलाकों में लट्टू बल्ब भी कहा जाता है का ही इस्तेमाल किए जाते थे जो तकरीबन पीली रोशनी देते थे और बहुत बिजली खाते थे।
हाल के सालों में आए सीएफएल ने इस बल्ब को तकरीबन खत्म कर दिया है। माना जाता है कि सीएफएल काफी कम बिजली की खपत करता है और अच्छी दूधिया रौशनी देता है।
हालांकि अब सीएफएल को टक्कर देने के लिए भारतीय बाजार में एलईडी भी आ गया है। ये एलईडी ना के बराबर बिजली खाता है और बढ़िया रौशनी भी देता है।
अभी इस एलईडी बल्ब के दाम थोड़े ज्यादा हैं हालांकि कुछ साइटों पर यह काफी सस्ता (30 से 40 रुपये के बीच) मिल रहा है। उम्मीद है कि आने वाले वक्त में इसके दाम और भी कम होंगे।
भारत में सोलर एनर्जी की स्थिति
भारतीय सौर ऊर्जा निगम की स्थापना 20 सितम्बर 2011 को हुई थी। इसका उद्देश्य सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना है। एक आंकड़े के मुताबिक देश में सौर ऊर्जा का उत्पादन 31.5.2014 की स्थिति के अनुसार 2647 मेगावाट है।
माना जाता है कि सूर्य पृथ्वी से करीब 15 करोड़ किलीमीटर दूर है। फोटोवॉल्टेक और कंसंट्रेटिंग सोलर पॉवर तकनीक से बिजली बनाई जाती है। दुनिया का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा संयंत्र स्पेन में है, जर्मनी दूसरे नम्बर पर है। भारत में राजस्थान, गुजरात और उड़ीसा में सौर ऊर्जा पैदा की जाती है।
भारतीय सौर ऊर्जा निगम की स्थापना 20 सितम्बर 2011 को हुई थी। इसका उद्देश्य सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना है। एक आंकड़े के मुताबिक देश में सौर ऊर्जा का उत्पादन 31.5.2014 की स्थिति के अनुसार 2647 मेगावाट है।
माना जाता है कि सूर्य पृथ्वी से करीब 15 करोड़ किलीमीटर दूर है। फोटोवॉल्टेक और कंसंट्रेटिंग सोलर पॉवर तकनीक से बिजली बनाई जाती है। दुनिया का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा संयंत्र स्पेन में है, जर्मनी दूसरे नम्बर पर है। भारत में राजस्थान, गुजरात और उड़ीसा में सौर ऊर्जा पैदा की जाती है।
पवन ऊर्जा में भारत की स्थिति
जब बहती हवा से बिजली पैदा की जाए तो ऐसी ऊर्जा को पवन ऊर्जा कहते हैं। 1990 के दशक में भारत में इस ओर ध्यान दिया गया। भारत पवन ऊर्जा के मामले में पांचवें नंबर पर आता है। अमेरिका, जर्मनी, स्पेन और चीन हमसे इस मामले में आगे हैं। तमिलनाडु और महाराष्ट्र पवन ऊर्जा के मामले में अग्रणी हैं।
जब बहती हवा से बिजली पैदा की जाए तो ऐसी ऊर्जा को पवन ऊर्जा कहते हैं। 1990 के दशक में भारत में इस ओर ध्यान दिया गया। भारत पवन ऊर्जा के मामले में पांचवें नंबर पर आता है। अमेरिका, जर्मनी, स्पेन और चीन हमसे इस मामले में आगे हैं। तमिलनाडु और महाराष्ट्र पवन ऊर्जा के मामले में अग्रणी हैं।
आलोचकों का तर्क
इस अभियान के आलोचकों के मुताबिक अगर ज्यादा लोग मोमबत्ती का इस्तमाल करेंगे तो यह भी पर्यावरण के लिए ठीक नहीं होगा क्योंकि ज्यादातर मोमबत्ती पैराफिन से बनती हैं जिनका आधार जीवाश्म ईंधन है। आलोचकों का मानना है कि एक घंटा बिजली बंद करने की अपेक्षा ध्यान इस बात पर देना चाहिए कि किस तरह जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता घटाई जाए।
इस अभियान के आलोचकों के मुताबिक अगर ज्यादा लोग मोमबत्ती का इस्तमाल करेंगे तो यह भी पर्यावरण के लिए ठीक नहीं होगा क्योंकि ज्यादातर मोमबत्ती पैराफिन से बनती हैं जिनका आधार जीवाश्म ईंधन है। आलोचकों का मानना है कि एक घंटा बिजली बंद करने की अपेक्षा ध्यान इस बात पर देना चाहिए कि किस तरह जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता घटाई जाए।
अर्थ आवर के तहत एक घंटे तक बिजली उपकरण बंद करने से प्रदूषण में काफी सुधार होगा।
राजधानी की बिजली कंपनी बीएसईएस ने दिल्लीवालों से अपील की है कि जलवायु परिवर्तन के मद्देनजर एक घंटा बिजली के सभी उपकरणों को बंद रखें।
अर्थ आवर का समय रात्रि साढ़े आठ बजे से रात्रि साढ़े नौ बजे तक होगा। इस दौरान घरों व कार्यस्थलों की गैर जरूरी लाइट्स व उपकरण बंद रखने की अपील की गई है।
बता दें कि दिल्ली में लगभग 50 लाख के करीब बिजली उपभोक्ता हैं। अकेले बीएसईएस क्षेत्र में बिजली उपभोक्ताओं की संख्या 37 लाख के करीब है।