विश्‍व कैंसर दिवस : 5 घातक प्रकार और उनसे बचने के उपाय ~ Shamsher ALI Siddiquee

Shamsher ALI Siddiquee

मैं इस विश्व के जीवन मंच पर अदना सा किरदार हूँ जो अपनी भूमिका न्यायपूर्वक और मन लगाकर निभाने का प्रयत्न कर रहा है। पढ़ाई लिखाई के हिसाब से विज्ञान के इंफोर्मेशन टेक्नॉलोजी में स्नातक हूँ और पेशे से सॉफ़्टवेयर इंजीनियर हूँ तथा मेरी कंपनी में मेरा पद मुझे लीड सॉफ़्टवेयर इंजीनियर बताता है।

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विश्‍व कैंसर दिवस : 5 घातक प्रकार और उनसे बचने के उपाय

    


'लाफ्टर इस द बेस्ट थेरपी', 'जिंदगी जिंदादिली का नाम है'। ये सिर्फ जुमले नहीं बल्कि ऐसी मेडिसिन हैं, जिनकी डोज के आगे कैंसर तक ने अपने घुटने टेक दिए। इसी खुशी ने ब्रेन में कुछ ऐसे हॉरमोन और केमिकल रिलीज करने शुरू किए, जिसने कैंसर को शरीर में बढ़ने से रोक दिया और इम्यून सिस्टम भी मजबूत करना शुरू कर दिया।

रिलीज होता है हॉरमोन आरएमएलआई की रेडिएशन ऑन्कॉलजिस्ट डॉ. रोहिणी खुराना कहती हैं कि म्यूजिक सुनना, फिल्म देखना, योग करना या ऐसा कोई काम जिससे खुशी मिले, करने पर ब्रेन एक खास प्रकार का केमिकल रिलीज करता है। 'एंडॉरफिन्स' नाम का यह हॉरमोन न्यूरो ट्रांसमिटर्स की तरह काम करता है। यह हॉरमोन कैंसर सेल को बढ़ने से रोकता है। डॉ. रोहिणी कहती हैं कि ऐसे कई केस सामने हैं, जिनमें मरीजों ने जिंदादिली का परिचय देकर कैंसर को हरा दिया। आरएमएलआई के मेडिकल ऑन्कॉलजिस्ट डॉ. गौरव गुप्ता कहते हैं कि पॉजिटिव सोच इस बीमारी से लड़ने में बहुत मदद करती है। इससे मरीज का इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। विदेश में इस पर कई रिसर्च भी हो चुकी हैं। 

एंडॉरफिन्स से शरीर पर यह पड़ता है असर एडॉरफिन्स शरीर का दर्द कम करता है। इम्यून सिस्टम मजबूत करता है। तनाव कम करता है। ब्लड प्रेशर मेंटेन रखता है। म्यूजिक और लाफ्टर थेरपी इस हॉरमोन को रिलीज करने का बेस्ट तरीका है। 

विश्‍व कैंसर दिवस कैंसर का शुरुआती चरणों में पता लगाने और रोकथाम, इसके इलाज के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए हर साल 4 फरवरी को मनाया जाता है। दुनियाभर में होने वाली मौतों के सबसे बड़े कारणों में से एक कैंसर उभर कर सामने आया है। लेकिन अगर इसकी सही स्टेज का पता चल जाए तो इस बीमारी से निजात पा सकते है। कैंसर शरीर के किसी भी अंग या हिस्से को प्रभावित कर सकता है और इनकी गिनती दो सौ से भी ज्यादा है। हमारे शरीर में 60 अलग-अलग तरह के ऑर्गन होते हैं, जिसमें कैंसर पैदा हो सकता है।

यहां 5 ऐसे घातक कैंसर के बारे में जानकारी दी जा रही है जिसके लक्षण जानकार आप शुरुआती चरण में ही पता लगा सकते हैं। साथ ही इसकी रोकथाम के तरीके अपनाकर इससे दूर रह सकते हैं।

त्‍वचा का कैंसर :

त्वचा के कैंसर के दौरान त्वचा पर कई तरह के बदलाव होते हैं जो मेलेनोमा (धूप से होने वाले) या नॉन- मेलेनोमा (बेहद गंभीर) कैंसर के लक्षण हो सकते हैं। त्वचा पर रैशेज, तिल या बर्थ मार्क्स में होने वाले बदलाव, एक्जिमा यानी खाज या त्‍वचा पर बहुत अधिक लाली और जलन भी कैंसर का कारण हो सकते हैं, इन्‍हें हल्‍के में न लें। ,

बचने के उपाय:

- सूरज की तेज किरणों से बचना चाहिए।

- धूप में निकलने से पहले सनस्क्रीन लोशन का इस्तेमाल करें।

- टैटू बनवाने से भी त्वचा कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।

- भोजन में विटामिन डी की मात्रा शामिल करें।

- शरीर पर तेल की मालिश करने से भी त्वचा कैंसर का खतरा कम हो सकता है।

- अपने भोजन में फल शामिल करके भी हम त्वचा कैंसर के खतरे से बचाव कर सकते है।

- अंगूर का सेवन करके भी स्किन कैंसर का खतरा कम हो जाता है।

स्‍तन कैंसर :

भारतीय औरतों में स्तन कैंसर होने की औसत उम्र लगभग 47 साल है, जो कि पश्चिमी देशों के मुकाबले 10 साल कम है। ब्रेस्ट में दर्द या गांठ जरा-सा भी महसूस हो तो डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। ब्रेस्ट में गांठ और समय के साथ इसका आकार बढ़ना, ब्रेस्ट का असामान्य तरीके से बढ़ना, बगल में सूजन आना, निप्पल का लाल पड़ना या उनसे खून आना, यदि आपके स्तन में कोई उभार या असामान्य मोटाई लगे तो तुरंत अपने डॉक्टर से सम्पर्क करें। अगर जल्‍द पता कर लिया जाए तो इस स्थिति में कैंसर के इलाज में पूरे स्तन को निकालने की जरूरत नहीं पड़ती।

बचने के उपाय :

- चाय का सेवन करें। काली चाय में एपि गैलो कैटेचिन गैलेट नाम का रसायन होता है जो स्तन कैंसर से शरीर को सुरक्षा प्रदान करता है।

- खट्टे फलों में सेब, अंगूर,पीच, नाशपाती, केला आदि का सेवन करने से ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावना कुछ हद तक कम हो जाती है।

- शारीरिक रूप से ज़्यादा सक्रिय हो, व्यायाम आदि नियमित रूप से करें

- दूध और दही में विटामिन डी होता है जो स्तन कैंसर के कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है।

- गर्भनिरोधक गोलियों का लगातार सेवन डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही करें।

- 40 साल की उम्र से प्रत्येक महिला को साल में एक बार ब्रेस्ट स्पेशलिस्ट से अपनी जाच कराकर उनके परामर्श से स्तनों का एक्सरे कराना चाहिए।

ब्‍लड कैंसर :

ब्लड कैंसर होने का सबसे प्रमुख कारण शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता का कम होना है। कीटनाशकों और नाइट्रेटयुक्त पानी का प्रयोग करने से ब्लंड कैंसर होने का खतरा बढता है। ब्लड कैंसर होने पर हड्डियों और जोडों में दर्द होने लगता है। बुखार आना, चक्कार आना, बार-बार संक्रमण, रात को पसीना और वजन कम होना रक्त कैंसर के प्रमुख लक्षण हैं।

बचने के उपाय :

- धू्म्रपान को छोडकर रक्त कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है। धूम्रपान करने से शरीर के अंदर निकोटीन प्रवेश करता है जो कि कई प्रकार के कैंसर के लिए उत्तरदायी होता है।

- ज्यादा कोलेस्ट्रॉलयुक्त भोजन करने से बचें जिससे वजन बढता हो। ज्यादा वसायुक्त और तैलीय चीजें कैंसर के सेल्स को बढाने में मदद करते हैं। हरी सब्जियां और ताजे फल को प्रतिदिन अपने डाइट में अपनाएं। दूध और दही जैसे विटामिन और मिनरल्स वाले खाद्य-पदार्थों का ज्यादा मात्रा में प्रयोग कीजिए।

- एक्स-रे या अन्य रेडिएशन किरणों के संपर्क में आने से बचें क्योंकि रेडिएशन से रक्त कैंसर होने का खतरा बढ जाता है। सीटी-स्कैन और रेडिएशन थेरेपी भी ब्लड कैंसर होने के खतरे को बढाते हैं।

फेफड़ों का कैंसर :

फेफड़े के 80 प्रतिशत मामले धूम्रपान की वजह से होते हैं। यह सिगरेट या अन्‍य कोई भी धुंआ हो सकता है। सिगरेट न पीने वाले भी सिगरेट पीने वालों के संपर्क में आने से इसका शिकार हो सकते हैं। सीने में दर्द, भूख खत्‍म होना, थकान, खांसी के साथ खून बहना, कफ की समस्या जल्दी खत्म ना होना, इसके लक्षण हैं।

बचने के उपाय :

- धूम्रपान न करना इससे बचने का एक महत्वपूर्ण हथियार है।

- आपका घर और आसपास का वातावरण हानिकारक गैस से मुक्त हो, तो भी फैफड़े के कैंसर की संभावना कम की जा सकती है।

- हेल्‍दी डाइट लें। हरी सब्‍जी, दूध, दही और फल खूब खाएं। ग्रीन टी पिएं, इसमें एंटीऑक्‍सीडेंट होता है। नियमित भोजन करें।

मुंह का कैंसर:

मुंह का कैंसर जीभ, नाक, तालू, या ग्रासनलिका में कैंसर होता है। जो व्यक्ति धूम्रपान करते है, गुटखा खाते है, या ज्‍यादा शराब पीते है, उन्हें मुंह के कैंसर का ज़्यादा डर होता है। इसके लक्षण में मुंह में या होठों पर लाल रंग के दाग होना, मुंह में या होठों पर सफेद चकते होना, मुंह में या होठों पर सूजन व दर्द, चबाते या बोलते समय, जीभ हिलाते समय कठिनाई होना, चबाते समय दांतों में दर्द होना, आवाज बदलना, कान में दर्द होना, गले में घाव होना हैं।

बचने के उपाय :

- आप किसी भी प्रकार की तम्‍बाकू, सिगरेट, पाइप्‍स या कपूरी, गुटखा आदि का सेवन करते है तो इससे जल्‍दी से दूरी बना लें।

- शराब से मुंह के कैंसर होने का खतरा भी चार गुना हो जाता है, क्‍योंकि मुंह एल्‍कोहल की वजह से घायल हो जाता है और उसमें घाव बढ़ता जाता है।

- अगर आपके मुंह में छाले हैं या कोई घाव हो गया हों, तो उसे इग्‍नोर न करें, समय रहते डॉक्‍टर के पास जाएं और जांच करवाकर इलाज लें। अपने दांतों, होंठों और जीभ को साफ रखें।

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