गणतंत्र की कहानी, तारीख की जुबानी ~ Shamsher ALI Siddiquee

Shamsher ALI Siddiquee

मैं इस विश्व के जीवन मंच पर अदना सा किरदार हूँ जो अपनी भूमिका न्यायपूर्वक और मन लगाकर निभाने का प्रयत्न कर रहा है। पढ़ाई लिखाई के हिसाब से विज्ञान के इंफोर्मेशन टेक्नॉलोजी में स्नातक हूँ और पेशे से सॉफ़्टवेयर इंजीनियर हूँ तथा मेरी कंपनी में मेरा पद मुझे लीड सॉफ़्टवेयर इंजीनियर बताता है।

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गणतंत्र की कहानी, तारीख की जुबानी

    


211 विद्वानों द्वारा 2 महीने और 11 दिन में तैयार भारत के संविधान को लागू किए जाने से पहले भी 26 जनवरी का बहुत महत्व था। 26 जनवरी एक विशेष दिन के रूप में चिन्हित किया गया था। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 1930 के लाहौर अधिवेशन में पहली बार तिरंगे झंडे को फहराया गया था। साथ-साथ एक और महत्वपूर्ण फैसला इस अधिवेशन के दौरान लिया गया।

67 वर्ष पहले 21 तोपों की सलामी के बाद भारतीय राष्‍ट्रीय ध्‍वज को डॉ. राजेन्‍द्र प्रसाद ने फहरा कर 26 जनवरी 1950 को भारतीय गणतंत्र के ऐतिहासिक जन्‍म की घो‍षणा की।

एक ब्रिटिश उप निवेश से एक सम्‍प्रभुतापूर्ण, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक राष्‍ट्र के रूप में भारत का निर्माण एक ऐतिहासिक घटना रही। यह लगभग 2 दशक पुरानी यात्रा थी जो 1930 में एक सपने के रूप में संकल्पित की गई और 1950 में इसे साकार किया गया। भारतीय गणतंत्र की इस यात्रा पर एक नजर डालने से हमारे आयोजन और भी अधिक सार्थक हो जाते हैं।

भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस का लाहौर सत्र

गणतंत्र राष्‍ट्र के बीज 31 दिसंबर 1929 की मध्‍य रात्रि में भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस के लाहौर सत्र में बोए गए थे। यह सत्र पंडित जवाहर लाल नेहरु की अध्‍यक्षता में आयोजि‍त किया गया था। उस बैठक में उपस्थित लोगों ने 26 जनवरी को "स्‍वतंत्रता दिवस" के रूप में अंकित करने की शपथ ली थी ताकि ब्रिटिश राज से पूर्ण स्‍वतंत्रता के सपने को साकार किया जा सके। लाहौर सत्र में नागरिक अवज्ञा आंदोलन का मार्ग प्रशस्‍त किया गया। यह निर्णय लिया गया कि 26 जनवरी 1930 को पूर्ण स्‍वराज दिवस के रूप में मनाया जाएगा। पूरे भारत से अनेक भारतीय राजनैतिक दलों और भारतीय क्रांतिकारियों ने सम्‍मान और गर्व सहित इस दिन को मनाने के प्रति एकता दर्शाई।

भारतीय संविधान सभा की बैठकें

भारतीय संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को की गई, जिसका गठन भारतीय नेताओं और ब्रिटिश कैबिनेट मिशन के बीच हुई बातचीत के परिणाम स्‍वरूप किया गया था। इस सभा का उद्देश्‍य भारत को एक संविधान प्रदान करना था जो दीर्घ अवधि प्रयोजन पूरे करेगा और इसलिए प्रस्‍तावित संविधान के विभिन्‍न पक्षों पर गहराई से अनुसंधान करने के लिए अनेक समितियों की नियुक्ति की गई। सिफारिशों पर चर्चा, वादविवाद किया गया और भारतीय संविधान पर अंतिम रूप देने से पहले कई बार संशोधित किया गया तथा 3 वर्ष बाद 26 नवंबर 1949 को आधिकारिक रूप से अपनाया गया।

संविधान प्रभावी हुआ

जबकि भारत 15 अगस्‍त 1947 को एक स्‍वतंत्र राष्‍ट्र बना, इसने स्‍वतंत्रता की सच्‍ची भावना का आनन्‍द 26 जनवरी 1950 को उठाया जब भारतीय संविधान प्रभावी हुआ। इस संविधान से भारत के नागरिकों को अपनी सरकार चुनकर स्‍वयं अपना शासन चलाने का अधिकार मिला। डॉ. राजेन्‍द्र प्रसाद ने गवर्नमेंट हाउस के दरबार हाल में भारत के प्रथम राष्‍ट्रपति के रूप में शपथ ली और इसके बाद राष्‍ट्रपति का काफिला 5 मील की दूरी पर स्थित इर्विन स्‍टेडियम पहुंचा जहां उन्‍होंने राष्‍ट्रीय ध्‍वज फहराया।

तब से ही इस ऐतिहासिक दिवस, 26 जनवरी को पूरे देश में एक त्‍यौहार की तरह और राष्‍ट्रीय भावना के साथ मनाया जाता है। इस दिन का अपना अलग महत्‍व है जब भारतीय संविधान को अपनाया गया था। इस गणतंत्र दिवस पर महान भारतीय संविधान को पढ़कर देखें जो उदार लोकतंत्र का परिचायक है, जो इसके भण्‍डार में निहित है।

इस दिन सर्वसम्मति से यह फैसला लिया गया था कि
प्रतिवर्ष 26 जनवरी का दिन 'पूर्ण स्वराज दिवस' के रूप में
मनाया जाएगा। इस दिन सभी स्वतंत्रता सेनानी पूर्ण
स्वराज का प्रचार करेंगे। इस तरह 26 जनवरी अघोषित रूप से
भारत का स्वतंत्रता दिवस बन गया था।
31 दिसंबर 1929 की मध्यरात्रि को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
का लाहौर में अधिवेशन हुआ। इस अधिवेशन में पहली बार तिरंगा फहराया गया।
25 नवंबर 1949 को देश के संविधान को मंजूरी मिली। 26 जनवरी
1950 को सभी सांसदों और विधायकों ने इस पर हस्ताक्षर
किए और इसके दो दिन बाद यानी 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू कर दिया गया।
भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को इंडियन स्टैंडर्ड टाइम के अनुसार 10 बजकर 18 मिनट पर लागू हो गया।
लिखित संविधान में कई बार संशोधन होने के बाद इसे अपनाने में 2 साल, 11 महीने और 18 दिन का समय लगा।
26 जनवरी 1950 को डॉ.राजेन्द्र प्रसाद ने गवर्नमेंट हाउस के
दरबार हाल में भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली।
इर्विन स्टेडियम में झंडा फहराया गया। यही पहला गणतंत्र
दिवस समारोह था। मुख्य अतिथि थे इंडोनेशिया के
राष्ट्रपति सुकर्णो।
गणतंत्र दिवस मनाने का वर्तमान तरीका 1955 में शुरू हुआ।
इसी साल पहली बार राजपथ पर परेड हुई। राजपथ परेड के पहले
मुख्य अतिथि पाकिस्तान के गवर्नर जनरल मलिक गुलाम मोहम्मद थे।
संविधान में संघ एवं राज्यों के मध्य शक्तियों का विभाजन
कनाडा के संविधान से लिया गया है।
सोवियत संघ के संविधान से मूल कर्तव्य और आस्ट्रेलिया के
संविधान से समवर्ती सूची ली गई है।

गणतंत्र दिवस के मौके पर राजपथ पर तिरंगा फहराया जाता
है। फिर राष्ट्रगान गाया जाता है और 21 तोपों की
सलामी होती है।
भारतीय संविधान में आपात उपबंध व्यवस्था जर्मनी के
संविधान की गई है।
डॉ. भीमराव अम्बेडकर की अध्यक्षता में बनाया गया
भारतीय संविधान 395 अनुच्छेदों और 8 अनुसूचियों के साथ
दुनिया में सबसे बड़ा लिखित संविधान था जो और भी
विस्तृत हो चुका है।
1950 से 1954 के बीच गणतंत्र दिवस का समारोह कभी इर्विन
स्टेडियम, किंग्सवे, लाल किला तो कभी रामलीला मैदान में
हुआ था न कि राजपथ पर।
वर्ष 1950 से 1970 के दौरान गुट निरपेक्ष आंदोलन और पूर्वी
ब्लॉक या कम्युनिस्ट ब्लॉक के सदस्य देशों के प्रतिनिधियों
की मेजबानी करवाई गई तो शीत-युद्घ के पश्चात पश्चिम
देशों को न्यौता दिया गया।

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