दिल जब धड़कता है तो शरीर के अन्य हिस्सों में ब्लड पहुंचाता है। इसी सर्कुलेशन से बॉडी को ऑक्सीजन के साथ ऊर्जा मिलती है। लेकिन जब ब्लड आगे बढ़ता है तो यह ब्लड वेसेल्स पर दबाव डालता है। वेसेल्स पर पड़ने वाले इसी दबाव को ब्लड प्रेशर कहते हैं। अगर ये बहुत ज्यादा होता है तो आर्टरीज और हार्ट पर भी असर डालता है।
ब्लड वेसेल्स पर दबाव दर्शाती संख्या
जरूरी नहीं कि ब्लड प्रेशर हाई हो तो आप इसे महसूस कर ही लेंगे। यह स्फाइग्नोमैनोमीटर पर मापने के बाद पता चलता है। इस इन्सट्रूमेंट में मिलीमीटर्स ऑफ मर्करी (एमएमएचजी) में ब्लड प्रेशर शो होता है, जो दो संख्याओं में होता है। नॉर्मल यह 120/80 होता है। इनमें से पहला आंकड़ा सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर है। मतलब दिल धड़कने पर स्फाइग्नोमैनोमीटर पर मर्करी का हाई लेवल। वहीं, दूसरी संख्या डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर है। मतलब धड़कने के बाद दिल के रिलैक्स होने पर ब्लड प्रेशर का लो लेवल।
हाइपर और हाइपोटेंशन
140/90 से ज्यादा ब्लड प्रेशर को डॉक्टर हाइपरटेंशन की कैटेगरी में रखते हैं। व्यक्ति के लिए इसे महसूस कर पाना आसान नहीं है। देश में हर तीसरा आदमी इससे पीड़ित है, लेकिन इनमें से 90 फीसदी को तो इसकी जानकारी ही नहीं है। इसलिए ये ज्यादा खतरनाक होता है। इसके उलट लो ब्लड प्रेशर (हाईपोटेंशन) का पता लक्षणों से लगाया जाता है।