संगीत सोम ने बिना सोचे समझे थोड़ी कहा है. उनका कहना है कि ताजमहल हमारी संस्कृति का हिस्सा नहीं है.
बवाल ताजमहल पर है तो आवाज ज्यादा ही होगी. दुनिया से लोग ताजमहल देखने ही तो आते हैं. जेएनयू के गंगा ढाबे पर चाय पीने तो आते नहीं. हमारे पास ऐसे सुबूत हैं जो साबित कर देंगे कि ताजमहल भारतीय संस्कृति का हिस्सा नहीं है.
1. भूमि अधिग्रहण नहीं हुआ
भारत में कोई भी निर्माण कार्य होने से पहले किसानों की जमीन अधिग्रहीत करनी पड़ती है. किसान छाती कूटते हैं कि हमारी 100 सोने की जमीन माटी मोल जा रही है. सरकार भरी दोपहर में उनके परिवार के एक आदमी को नौकरी और जमीन का पूरा दाम देने का वादा करती है. फिर वादे से मुकरते हुए जमीन हथिया लेती है. ये पहला स्टेप होता है जो ताजमहल बनने में फॉलो नहीं किया गया.
2. टेंडर जारी नहीं हुआ
टेंडर और टेंडर के चक्कर में मर्डर, ये दूसरा स्टेप होता है किसी भी निर्माण कार्य का. सरकार ने न तो इसके लिए टेंडर आमंत्रित किए. न ही अपने किसी आदमी को देकर बाकी सबको टिली लिली धुप किया. हमारी सांस्कृतिक विरासत बिना टेंडर थोड़ी बनेगी.
3. किस योजना के अंतर्गत बना
ये सवाल ताजमहल के बनने से आज तक अनुत्तरित है. आज कोई माई का लाल छाती ठोंककर बता दे कि किस सरकारी योजना के तहत इसका निर्माण कराया गया है? यहां गड्ढा भी मनरेगा स्कीम में खुदता है. अगर आज की सरकार ताजमहल बनवाती तो उस योजना का नाम होता “पंडित दीनदयाल उपाध्याय श्वेत गोलार्धीय भवन योजना.”
4. न मंत्री आए न फीता कटा
भारतीय संस्कृति के अनुसार कोई भवन निर्माण होता है तो उसके लिए मंत्री जी शिलान्यास करने या फीता काटने आते हैं. चुनाव सिर पर हों तो अकेले मुख्यमंत्री ऐसे 5000 भवनों का शिलान्यास कर देते हैं. सरकार जस्ट बनी हो तो शिलान्यास टलता रहता है. ऐसा कुछ ताजमहल बनने में तो हुआ नहीं फिर हम कैसे मान लें?
5. किसी ने पैसा नहीं खाया
ये कैसी संस्कृति का नमूना है जिसके बनने में न इंजीनियर्स ने पैसा खाया न बिल्डर्स ने. मुझे तो घिन आती है इसे सांस्कृतिक विरासत कहते हुए. कुछ मजदूरों के हाथ काटने का उल्लेख जरूर मिलता है लेकिन जब तक बनवाने वाले मालामाल न हो जाएं तब तक ये मजाक ही लगता है.
6. बनने के बीच में एक बार भी नहीं गिरा
यहां एक सड़ा सा पुल बनता है तो वो ट्रायल में भी एक बार गिरता जरूर है. बहुत बेशर्म हो तो भी बनने के 5-6 साल में जरूर गिर जाता है. लेकिन ताजमहल न तो बीच में गिरा न बनने के बाद गिरा. संगीत सोम ने बिल्कुल ठीक कहा है.
7. क्रेडिट लेने का झगड़ा नहीं
ऐसा भी नहीं था कि समाजवादी पार्टी के शासनकाल में बनना शुरू हुआ और बीजेपी वालों ने उसका उद्घाटन कर दिया. क्रेडिट लेने का कोई संघर्ष ताजमहल के बनने में दिखा ही नहीं तो कैसी संस्कृति आंय?
8. दूसरे स्टेट्स में ऐड नहीं निकला
ताजमहल पूर्ण रूप से उत्तर प्रदेश की परियोजना थी. लेकिन उसका प्रचार करने के लिए हरियाणा के अखबारों में ऐड नहीं निकला. ये ऐड्स दिखाने के लिए ही आजकल अखबार वाले तीन-तार फ्रंट पेज लगवा दे रहे हैं.
9. पान की पीक नहीं
चलो बन गया तो बन गया. अब उसे देखने के लिए टूरिस्ट भी आते हैं. अब तो शर्म आने लगी है ये कहते हुए कि ये बिल्डिंग यूपी में है. यार यूपी वाले मंदिर के बाहर पड़ी चप्पलों पर थूक देते हैं, इतना बड़ा ताजमहल कैसे बच गया? हटाओ इसको लिस्ट से.
10. इजहार ए मोहब्बत के निशान नहीं
कहते हैं प्यार की निशानी है ताजमहल. या तो कहने वाले भकुवा हैं या तो उन्होंने देखा नहीं है ताजमहल. वहां की एक भी दीवार पर जयप्रकाश+दिल चीरता तीर+प्रिया नहीं लिखा है. हमारी संस्कृति नहीं ये उसको चोट पहुंचाने की साजिश है.
लोगों का गुस्सा जायज है. अच्छी बात ये है कि संगीत सोम ने ताजमहल को तेजोमहालय नहीं कहा है. बाकी वो हमारी संस्कृति का हिस्सा न कभी था न कभी होगा.