ईद उल फितर: प्रेम और सौहार्द का पर्व
गिले शिकवे दूर करने का,मोहब्बत से जीने का
मुसलमानों का सबसे बड़ा त्यौहार कहा जाने वाला ईद पर्व न सिर्फ हमारे समाज को जोडने का मजबूत सूत्र है बल्कि यह इस्लाम के प्रेम और सौहार्द भरे संदेश को भी प्रभावपूर्ण ढंग से फैलाता है. ईद उल फितर रमजान माह के खत्म होने के अवसर पर मनाया जाता है. यह त्यौहार रमजान के 29 अथवा 30 रोजे की समाप्ति के उपरान्त मनाया जाता है.
ईद की नमाज अदा करने से पहले मीठा खाकर निकलें और वापसी में दूध में भिगोया छुहारा खाएं. ईद-उल-फितर में 13 चीजें सुन्नत हैं. मस्जिद जाने के क्रम में
‘अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर, ला इलाहा, इल्ललाहु, वल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर व लिल्लाहिल हम्द’ कहना चाहिए.
दान का पर्व ईद-उल-फितर
ईद-उल-फितर सिर्फ मौज-मस्ती या खाने-पीने का ही त्यौहार नहीं है बल्कि इस दिन “ईदी” देने का भी रिवाज है. ईद वाले दिन हर मुस्लिम घर में फितरा अनिवार्य रूप से निकाला जाता है. माना जाता है जिस भी मुस्लिम घर में परिवार के लोग जिस अनाज को सबसे ज्यादा खाते हैं, उसके लिए निर्देश है कि तीन किलो प्रति सदस्य के हिसाब से उस अनाज की कीमत का पैसा अलग निकालेगा. अगर कोई ज्यादा निकालना चाहे तो उस पर रोक नहीं है.
इस पैसे का इस्तेमाल उन जरूरतमंद लोगों के लिए किया जाता है जिन्हें दो वक्त की रोटी नसीब नहीं होती. फितरा और जकात निकालने के बाद ही लोग ईद की नमाज के लिए मस्जिद या ईदगाह का रुख करते हैं.
ईद पर खुतबा
ईद के मौके पर नमाज अदा किए जाने के बाद मस्जिदों में खुतबा पढ़ा जाता है. जुमे पर पढ़े जाने वाले खुतबे की तरह इसका भी विशेष महत्व है. इस दौरान मौलाना कुरान के हवाले से अच्छा इंसान बनने की सीख देते हैं. उसके बाद मुबारकबाद का सिलसिला चलता है. नमाज अदा करने के बाद सभी एक-दूसरे से गले मिलते हैं और ईद की बधाई देते हैं. ईद के मौके पर मीठी सेवइयां बनाई जाती हैं जिसे खिलाकर लोग अपने रिश्तों की कड़वाहट को खत्म करते हैं.
ईद के दिन की सुन्नतें
ईद के दिन की सुन्नतें इस तरह हैं-
1. शरीयत के मुताबिक खुद को सजाना
2. गुस्ल करना
3. मिस्वाक करना
4. अच्छे कपड़े पहनना
5. खुशबू लगाना
6. सुबह जल्दी उठना
7. बहुत सवेरे ईदगाह पहुंच जाना
8. ईदगाह जाने से पहले मीठी चीज खाना
9. ईद की नमाज ईदगाह में अदा करना
10. एक रास्ते से जाकर दूसरे रास्ते से वापस आना
11. पैदल जाना
12. रास्ते में धीरे-धीरे तकबीर पढ़ना.
क्या है ईद उल फितर
ईद-उल-फितर में 'फितर' अरबी का शब्द है जिसका तात्पर्य अफतारी और फित्रे से है जो हर मुसलमान पर वाजिब है. असल में रोजा हमें मनोनिग्रह की असीम शक्ति देता है और आत्मसंयम सिखाता है.
मुसलमानों का त्यौहार ईद रमज़ान का चांद डूबने और ईद का चांद नज़र आने पर उसके अगले दिन चांद की पहली तारीख़ को मनाई जाती है. इस्लामी साल में दो ईदों में से यह एक है(दूसरा ईद उल जुहा या बकरीद कहलाता है). पहला ईद उल-फ़ितर पैगम्बर मुहम्मद ने सन 624 ईसवी में जंग-ए-बदर के बाद मनाया था.
हजरत मोहम्मद साहब ने ईद के लिए आदेश दिया है कि “जो लोग साधन-संपन्न हैं, उन्हें निर्धन और कमजोरों की यथासंभव सहायता करनी चाहिए. ऐसी खुशी के क्या मायने, जब गरीब के पास खाने व पहनने को कुछ न हो और उन्होंने स्वयं के लिए ऐश्वर्य के बहुत से साधन जुटा लिए हों.”
उपवास की समाप्ति की खुशी के अलावा इस ईद में मुसलमान अल्लाह का शुक्रिया अदा इसलिए भी करते हैं कि उन्होंने महीने भर का उपवास रखने की शक्ति दी.
ईद या ईद-उल-फितर को मीठी ईद भी कहते हैं. सेवइयों की मिठास में लोग अपने दिल में छुपी कड़वाहट को भुला देते हैं.
उम्मीद है इस साल ईद भारत में फैली सांप्रदायिक हिंसा और मनमुटाव को खत्म करने में एक अहम रोल अदा करेगी.
ईद की स्पेशल शीर-खुरमा विधि
सामग्री
1kg बारीक सेवियों का एक पैकेट
20 साबुत इलायची
4 लीटर दूध
2 कप चीनी
1/2 टी स्पून इलायची पाउडर
1 कप बादाम, काजू और पिस्ता
1/2 कप फ्रेश मलाई
1/2 टी स्पून केसर
1/2 टी स्पून गुलाब जल
1 चम्मच बटर
विधि
सबसे पहले सिवइयों को एक कड़ाही में घी या बटर डालकर भूरा होने तक फ्राइ करें. जब सिवइयां भूरी हो जाएं तो इसमें ¼ कप चीनी डालकर फिर फ्राइ करें. अब धीरे-धीरे दूध मिलाते रहिए और इसे गाढ़ा होने तक आंच पर रखें. जब दूध गाढ़ा हो जाए तो इसमें सूखे मेवे जैसे काजू, बादाम और पिस्ता मिलाइए. जब कढ़ाई का दूध 1/3 रह जाए तब इसमें बची हुई सारी चीनी मिला दें और फिर गुलाब जल डालें. इसके बाद मलाई डालकर कुछ देर तक तक पकाएं. जब सिवइयां पक काएं तो इसमें केसर और इलायची पाउडर डालकर गर्मागर्म सर्व करें.
हमारी वेबसाइट की तरफ से आप सब पाठकों को ईद की ढेर सारी बधाई।