फर्स्ट अप्रैल को दिमाग के घोड़े दौड़ पड़ते हैं. मूर्ख दिवस कैसे सेलिब्रेट किया जाए. लोग अपने दोस्तों रिश्तेदारों को मूर्ख बनाने के लिए जितनी अक्ल लगाते हैं उतनी किसी और काम में लगाते तो राम जाने क्या होता. खैर ये तो एक दिन की बात है. लेकिन कुछ लोग हफ्तों, महीनों, सालों या जिंदगी भर मूर्ख बने रहने को अभिशप्त रहते हैं. ये किसी और ग्रह से नहीं आते. हमारे आपके बीच ही रहते हैं. बस ये मूर्खता वाली इस कैटेगरी को कुछ नायाब काम करके छू आते हैं. नीचे वो काम लिखे हैं. इनमें से दो मैंने भी किए हैं. तो अकेले गौरवान्वित न महसूस कर लेना.
1. पर्सनैलिटी डेवेलपमेंट कोर्स करने वाले:
भैये कौन है जो अपनी पर्सनैलिटी एकदम चुंबकीय नहीं बनाना चाहता. सब चाहते हैं कि सामने लड़का हो, लड़की हो, बॉस हो, कलीग हो, सब पर अपना भौकाल बना रहे. “90 घंटों में गारंटीड फर्राटे से इंगलिश बोलना” सिखाने वालों ने इस मार्केट को भांप लिया था. इसी प्लान के तहत वो अंगरेजी कोर्स के साथ पर्सनैलिटी डेवलपमेंट कोर्स फोकट में कराने लगे. लेकिन भैये पर्सनैलिटी ऐसी चीज तो है नहीं कि किसी के सिखाने से बन जाएगी. ये तो सबकी अलग अलग होती है. यही तो पर्सनैलिटी की खासियत है. सारे एक ही जैसे व्यवहार करेंगे तो पर्सन कहां रह जाएंगे, रोबोट नहीं हो जाएंगे. लेकिन फिर भी लोगों ने पर्सनैलिटी डेवलपमेंट कोर्स किया और जकड़ के किया.
2. मल्टी लेवल मार्केटिंग से ठगाने वाले:
कोई दूर का रिश्तेदार 10-15 साल आपके घर में आ धमकता है. और झट से अपना महंगा चश्मा, महंगे जूते और ब्रांडेड कपड़े दिखाने लगते हैं. ये भी बताते हैं कि अगले हफ्ते उनकी नई कार आने वाली है. फिर दिल्ली या लखनऊ के पॉश इलाके में घर लेने वाले हैं. आप प्याज जैसी आंखें फाड़कर देख रहे होते हैं कि ये क्या हो गया. ये कल का भिखारी इतना बड़ा आदमी कैसे बन गया. फिर वो खोलता है अपना असली प्लान. कि आप हमारे C बन जाओ फिर आपके नीचे A, B और C बनेंगे. फिर धकापेल कमाई होगी. असल में पूरा गेम सिर्फ C बनाने का होता है.
3. दिल्ली की चांदनी चौक से 100 रुपए की 32 जीबी पेन ड्राइव लेने वाले:
इनकी कोई गलती नहीं होती. ये बस सड़क से निकल रहे होते हैं. बगल में चटाई पर ढेर सारे मेमोरी कार्ड और पेन ड्राइव फैलाए कोई बंदा बैठा होता है. पहली बार दिल्ली आया शख्स उसे खरीद लेता है. भले जरूरत हो या न हो. इतनी सस्ती पेन ड्राइव कैसे छोड़ दे. फिर वो एक बार कंप्यूटर में लगती है तो 10 जीबी बताती है. दोबारा लगाओ तो 100 एमबी. तीसरी बार चलती ही नहीं.
4. न्यूज चैनल पर डिबेट और WWE इमोशनल होकर देखने वाले:
इन पर हम कुछ नहीं लिखेंगे. बस रब राखा. यही दुआ है कि आप जल्दी अपने इमोशन्स पर काबू रखना सीख जाएं. नहीं तो ये खेल बहुत दिन चलने वाला है.
5. बापू को रिहा कराने वाले:
सुबह पांच बजे ट्विटर खोलो तो एक चीज ट्रेंड कर रही होती है. बापू को रिहा करो. या बापू निर्दोष है. ये महात्मा गांधी की बात नहीं कर रहे हैं. बापू यानी आसाराम. वो जो बीसियों केस अपने ऊपर लिए जोधपुर जेल में बंद हैं. उन्होंने बेल के लिए इतने सियापे किए लेकिन कुछ नहीं हुआ. सलमान खान को देखकर उनकी उम्मीद बंधी हुई है लेकिन आशा अब कम ही है. लेकिन उनके चेले चपाटे गजब आशावादी हैं. उनको किसी के कहे पर भरोसा नहीं. झुट्ठे बाबाओं के चक्कर में पड़ने वालों के लिए भी आज का दिन बेहद खास है.