मजदूर द‍िवस आज: जानें, क्‍या है इसका इतिहास ~ Shamsher ALI Siddiquee

Shamsher ALI Siddiquee

Search

Type your search keyword, and press enter


ads

मजदूर द‍िवस आज: जानें, क्‍या है इसका इतिहास

 ,    


आज दुन‍ियाभर में लेबर डे यानी मजदूर दिवस मनाया जा रहा है। आज ही के दिन दुनिया के मजदूरों के अनिश्चित काम के घंटों को 8 घंटे में तब्दील क‍िया गया था। इस दिन देश की कई कंपनियों में छुट्टी होती है। 

भारत ही नहीं, दुनिया के करीब 80 देशों में इस दिन नैशनल हॉल‍िडे होता है। गूगल ने भी आज अपना डूडल लेबर डे को ही समर्पित क‍िया है। कैसे हुई मजदूर दिवस की शुरुआत, जानें उससे जुड़ी खास बातें... 


‘अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस’ का उद्देश्य  

किसी भी देश व समाज के निर्माण में मजदूरों का महत्वपूर्ण योगदान होता है | ‘अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस’ मनाने का उद्देश्य है 4 मई 1886 को शिकागो के हैय मार्केट में हुए बम धमाके में मरे हुए मजदूरों को श्रध्दांजलि देना और उस नारे को साकार करना जो सभी मजदूरों को एक सूत्र में बाँधती है |

भारत में मजदूर दिवस मनाएं जाने की शुरुआत

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 1 मई को ‘मजदूर दिवस’ मनाएं जाने के तर्क के आधार पर भारत में भी यह दिन ‘श्रमिक दिवस’ के रूप में मनाया जाने लगा | पहली बार भारत में मजदूर दिवस 1 मई 1923 को मद्रास में मनाया गया था | इसकी शुरुआत “लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान” ने की थी |
भारत में इस दिन मजदूर सभा करके अपनी समस्याओं पर विचार – विमर्श करते है | जुलूस निकाले जाते है | अन्तर्राष्ट्रीय श्रमिक संगठन द्वारा इस दिन विशेष सम्मलेन का भी आयोजन किया जाता है |
इस दिन सरकार द्वारा मजदूरों के हक़ को सुरक्षित रखने के लिए कानून भी पारित किए गए है | इन कानूनों में यह बात कही गई कि प्रत्येक मजदूर को बिना किसी भेद – भाव के अपनी योग्यता व क्षमता के अनुसार श्रम – शक्ति का उपयोग करने का अधिकार है |
श्रमिक को जाति, धर्म, लिंग, नस्ल के आधार पर कार्य का चुनाव करने की स्वतंत्रता है | उसे बंधुआ या गुलाम बनाकर काम करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है | इसी प्रकार के दर्जनों कानून स्वतंत्रता से पूर्व व स्वतंत्रता के बाद मजदूरों के हित के लिए बनाए गए |
मजदूर दिवस की शुरुआत हुए लगभग सवा सौ साल हो चुके है | गौरतलब है कि हर एक को अपनी श्रम – शक्ति के अनुसार गरिमा-मय जीवनयापन करने का पूरा अधिकार है और उतना ही जरुरी अपने अधिकारों के बारे में पता होना | मजदूरों के हक़ को सुरक्षित रखने के लिए अनेक अधिनियम भारत में पारित किए गए है |

मजदूरों के हक़ को सुरक्षित रखने के लिए बने अधिनियम

यहाँ के लोग दो वर्गो में बटे है | पहला पूंजीपति वर्ग और दूसरा मजदूर वर्ग | मजदूर वर्ग हाड़तोड़ मेहनत के बावजूद भी अभाव की जिंदगी जीने के लिए बेबस है तो दूसरी ओर पूँजिपति वर्ग उतना ही संपन्न है | दोनों वर्गों के जीवन में बहुत बड़ा फर्क है लेकिन अफसोस यह फर्क कम होने की अपेक्षा बढ़ता ही जा रहा है |
कारखानों, खेतों में काम करने वाले मजदूरों और किसानों को अधिकांशत: भारी जान – माल का नुकसान होता रहता है | लेकिन मालिको द्वारा न तो उनका स्वास्थ्य बीमा कराया गया रहता है और न ही उन्हें या उनके परिवार को ठीक से मुवावजा मिलता है | इसलिए सरकार द्वारा मजदूरों के हक़ को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से कुछ अधिनियम बनाया गया है जो निम्नलिखित है –
  • कामगार मुआवजा अधिनियम 1923
  • ओद्योगिक विवाद एक्ट 1947
  • न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948
  • फैक्ट्रीज अधिनियम 1948
  • राज्य कर्मचारी बीमा अधिनियम 1948
  • बाल मजदूरी (उन्मूलन एवं नियम) अधिनियम 1948
  • मातृत्व लाभ अधिनियम 1961
  • बोनस अधिनियम 1965
  • बंधुआ मजदूरी प्रथा अधिनियम 1976
  • असंगठित कामगार सामाजिक सुरक्षा अधिनियम 2008
  • कामगार मुआवजा अधिनियम 1923
कामगार मुआवजा अधिनियम 1923 का गठन मजदूरों व उनके परिवार की सुरक्षा के लिए किया गया है | इसे जम्मू कश्मीर सहित पुरे भारत में लागू किया गया है |

ओद्योगिक विवाद एक्ट 1947

मजदूरों के झगड़ों को सुलझाने के लिए इस एक्ट को बनाया गया है | ओद्योगिक विवाद एक्ट 1947 के अंतर्गत मजदूरों को यह अधिकार दिया गया है कि वह अपने सही और उचित मांगों के लिए आंदोलन कर सकते है और मजदूर संघ बना सकते है |

न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948

न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948 के तहत श्रमिक जीवन यापन के लिए योग्य बेतन की मांग कंपनी के मालिक से कर सकता है |

फैक्ट्रीज अधिनियम 1948

फैक्ट्रीज अधिनियम 1948 को फैक्ट्रीज में काम करने वाले श्रमिको की स्वास्थ्य की सुरक्षा व जीवन की सुरक्षा के लिए बनाया गया है |

राज्य कर्मचारी बीमा अधिनियम 1948

राज्य कर्मचारी बीमा अधिनियम 1948 के अंतर्गत मजदूरों का स्वास्थ्य संबंधी सुरक्षा किए जाने का प्रावधान है |

बाल मजदूरी (उन्मूलन एवं नियम) अधिनियम 1948

14 साल से कम उम्र के बच्चे बाल मजदूरी के श्रेणी में आते है | बाल मजदूरी (उन्मूलन एवं नियम) अधिनियम 1948 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को मजदूरी करने से रोकने के लिए बनाया गया है |

मातृत्व लाभ अधिनियम 1961

कुल मजदूरों की संख्या का 25 प्रतिशत भाग महिला मजदूरों का भी है | इसी बात को ध्यान में रखते हुए मातृत्व लाभ अधिनियम 1961 को बनाया गया | इसके अंतर्गत महिला मजदूरों को गर्भावस्था के दौरान व उसके उपरान्त 80 दिनों की छुट्टी का प्रावधान किया गया है |

बोनस अधिनियम 1965

बोनस अधिनियम 1965 के अंतर्गत अवसर अनुकूल मजदूरों को बोनस देने का प्रावधान किया गया है |

बंधुआ मजदूरी प्रथा अधिनियम 1976

यह अधिनियम बंधुआ मजदूरी को समाप्त करने के लिए बनाया गया है |

असंगठित कामगार सामाजिक सुरक्षा अधिनियम 2008

इस अधिनियम का गठन असंगठित मजदूरों के लिए किया गया है | इसके अंतर्गत स्वास्थ्य, मातृत्व, बुढ़ापा सुरक्षा व विकलांगता सम्बंधी लाभ का प्रावधान है |
जागरूकता ही एकमात्र आपका हथियार है | इसलिए आप ही को जागरूक होना पड़ेगा, ताकि मालिको द्वारा अपने लाभ को बढ़ाने के लिए ‘शोषण’ न कर सके |